Agneepath ka agniveer: मैं अग्निपथ का अग्निवीर, नायक था किंतु अब नहीं
Agneepath ka agniveer: मैं अग्निपथ का अग्निवीर
Agneepath ka agniveer:मैं अग्निपथ का अग्निवीर
नायक था किंतु अब नहीं
महानायक का भी स्वप्न नहीं
देखूं भी अब कैसे यहाँ पे
दूधमुंहा चलेगी सरहद तैयारी
कैसे बचे, किन्हें कहें ये दर्द जुबानी
क्या कहूँ, जो सोचा, देखा नहीं
कैसे बताऊं ये उपद्रवी संसार
किन्तु दुष्कर्ता यहाँ पर देखो
अनुकूल नहीं प्रतिकुल यहाँ
भौकाल हैं ये, भ्रष्ट हैं ये
न समझ हैं ये, अल्हड़ हैं ये
आतंकवादी के बहकावे में सब
देश तड़प रहा है, रो रहा
जल रहा है बस धू-धू
तप रहा, खाक हो रहा भारत
चीख-चीख के बर्बाद हो रहा भारत
निःशब्द, निःस्तब्ध हैं यहाँ के शहंशाह/सरकार
टुकुर-टुकुर सब देख रहे बस
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