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WHO global center for traditional medicine: WHO गुजरात के इस जिले में खोलेगा वैश्विक पारंपरिक औषधि केन्द्र

WHO global center for traditional medicine: WHO गुजरात के जामनगर में खोलेगा वैश्विक पारंपरिक औषधि केन्द्र

अहमदाबाद, 26 मार्चः WHO global center for traditional medicine: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने गुजरात के जामनगर जिले में वैश्विक पारंपरिक औषधि केंद्र (WHO global center for traditional medicine) की स्थापना के लिए भारत सरकार के साथ समझौता किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इस पर प्रसन्नता जाहिर की है।

उन्होंने कहा कि भारत की पारंपरिक औषधि (WHO global center for traditional medicine) और बेहतर स्वास्थ्य के तरीके दुनियाभर में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। उन्होंने कहा यह डब्लूएचओ सेंटर हमारे समाज में तंदुरुस्ती बढ़ाने में काफी मदद करेगा। वहीं केंद्रीय आयुष मंत्री ने बताया है कि यह सेंटर WHO का दुनिया में अपनी तरह का पहला केंद्र होगा।

ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना से संबंधित समझौते पर स्विट्जरलैंड के जिनेवा में भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच समझौते (WHO global center for traditional medicine) पर हस्ताक्षर किए गए। प्रधानमंत्री की मौजूदगी में विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने 5वें आयुर्वेद दिवस पर 13 नवंबर, 2020 को इसकी घोषणा की थी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक पारंपरिक औषधि केंद्र की स्थापना को 9 मार्च को मंजूरी दे दी।

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WHO के महानिदेशक ने कहा कि दुनियाभर के लाखों लोगों के लिए कई बीमारियों का इलाज आज भी पारंपरिक चिकित्सा (WHO global center for traditional medicine) पहला विकल्प है। उन्होंने कहा कि हमारा मिशन सभी के लिए सुरक्षित और प्रभावी इलाज उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि यह नया चैप्टर पारंपरिक चिकित्सा के लिए तथ्य आधारित विज्ञान को मजबूती देगा। उन्होंने सहयोग के लिए भारत सरकार के प्रति आभार जताया है।

WHO global center for traditional medicine: WHO ने बताया है कि पारंपरिक चिकित्सा के वैश्विक ज्ञान के इस केंद्र के लिए भारत सरकार ने 250 मिलियन डॉलर की सहायता की है। इसका उद्देश्य लोगों और पृथ्वी की सेहत में सुधार के लिए आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से दुनियाभर में पारंपरिक चिकित्सा की क्षमता का दोहन करना है। आज के समय में दुनिया की करीब 80 प्रतिशत आबादी पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग करती है।

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