Vishva hindi diwas: हिंदी का विश्व और विश्व की हिंदी: गिरीश्वर मिश्र
हम सब यह देखते हैं कि दैनंदिन जीवन के क्रम में हमारे अनुभव वाचिक कोड बन कर एक ओर स्मृति के हवाले होते रहते हैं तो दूसरी ओर स्मृतियाँ नए-नए … Read More
हम सब यह देखते हैं कि दैनंदिन जीवन के क्रम में हमारे अनुभव वाचिक कोड बन कर एक ओर स्मृति के हवाले होते रहते हैं तो दूसरी ओर स्मृतियाँ नए-नए … Read More
‘बनारसी’ एक ख़ास तरह की जीवन-दृष्टि और स्वभाव को इंगित करने वाला ‘विशेषण’ भी बन चुका है जो भारत की बहुलता और जटिलता को रूपायित करता है. यहाँ बहुलता के … Read More
इस देश-गान में शस्य-श्यामल, सुखद, और वरद भारत माता की वन्दना की गई है । इस तरह गुलामी के दौर में देश में सब के प्राण बसते थे और देश … Read More
Hindi Language: अक्सर भाषा को संचार और अभिव्यक्ति के एक प्रतीकात्मक माध्यम के रूप ग्रहण किया जाता है. यह स्वाभाविक भी है. हम अपने विचार, सुख-दुख के भाव और दृष्टिकोण … Read More
ऐसे में अब उत्सव और पर्व भी लोक-जीवन में यथार्थ से अधिक आभासी स्तर पर ही ज्यादा जिए जाने लगे हैं. शरद ऋतु भारत में उत्सवों की ऋतु है और … Read More
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि । दारिद्र्यदुःख भयहारणिका त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदाचिता II (मां दुर्गे ! आप स्मरण करने पर सब प्राणियों का भय हर लेती हैं … Read More
स्मरणीय है अमेरिकी चिंतन ने यूरोप से अलग दृष्टि स्वीकार की और रूस ने भी स्वायत्त चिंतन की दृष्टि विकसित की. औपनिवेशिक भारत के लिए आत्मान्वेषण की राह बड़ी विकट … Read More
भारत की राष्ट्रीय चेतना को लेकर अक्सर यह विचार सुनने में आता है कि इसका विकास अंग्रेजों द्वारा भारत में लाई गई अंग्रेजी शिक्षा की देन है. यह कहते हुए … Read More
Hindi Diwas: हिन्दी दिवस-१४ सितम्बर भारत की आत्मा भारत की भाषाओं में बसती है. भारतीय चिंतन की निरंतरता तिरुवल्लूर, नामदेव, शंकरदेव, तुलसीदास सबमें मिलती है. कहते हैं कि जब अंग्रेज … Read More
इस तरह शिक्षा- कार्य की परिधि का निर्धारण गुरु जनों के विवेक द्वारा होता था जिन्हें परम्परा और समकालीन परिस्थिति दोनों का ज्ञान होता था . वे शिक्षा देते हुए … Read More