Vasanta college for women: वाराणसी में हिंदी पत्रकारिता का वर्तमान स्वरुप और भविष्य की संभावनाएं विषय पर व्याख्यान

Vasanta college for women: वसंता कॉलेज फॉर वूमेन के हिंदी विभाग द्वारा आयोजित हुई व्याख्यान में प्रोफेसर अनुराग दवे का सारगर्भित उदबोधन

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 13 अक्टूबरः Vasanta college for women: वसंत महिला महाविद्यालय (Vasanta college for women), राजघाट फोर्ट, वाराणसी के हिन्दी-विभाग द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव और आभासी साहित्य-संवाद के अंतर्गत “हिंदी पत्रकारिता का वर्तमान परिदृश्य और भविष्य की संभावनाएं” विषयक व्याख्यान आयोजित की गयी।

Vasanta college for women अतिथि का स्वागत करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर अलका सिंह ने कहा कि “आजादी का अमृत महोत्सव” के वास्तविक अर्थ को विद्यार्थियों के बीच लाना आवश्यक है। पत्रकारिता अपने आप में एक महत्त्वपूर्ण अनुशासन है जिसकी भूमिका हमेशा अहम रही है। मुख्य वक्ता पत्रकारिता एवं जन संप्रेषण विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अनुराग दवे ने पत्रकारिता के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से लेकर अब तक के गौरवशाली अतीत और वर्तमान समय में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। साथ ही हिंदी पत्रकारिता के भविष्य की चुनौतियों की भी चर्चा की।

उन्होंने कहा कि मतवाला,ब्राह्मण प्रताप, सैनिक, कर्मवीर आदि पत्रिकाओं ने राजनीतिक चेतना को बढ़ाने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, वह भी उस दौर में जब साक्षारता कम थी। देश के सभी बड़े नेताओं ने अपनी बात लोगों तक पहुँचाने के लिए किसी-न-किसी पत्रिका का सहारा लिया।

भारत में पत्रकारिता का शुरुआती दौर निष्पक्षता और राष्ट्रवाद से ओतप्रोत था, किन्तु आज के समाचार पत्र व्यापार, लाभ अर्थात व्यावसायिकता से जुड़ गए हैं। उन्होंने वर्तमान पत्रकारिता के अर्थशास्त्र-शेयर, विज्ञापन, चंदा रेवेन्यू आदि के अन्तसंबंधों और उनके समीकरण पर भी विस्तृत चर्चा की।

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कार्यक्रम संयोजक, वरिष्ठ आलोचक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. शशिकला त्रिपाठी ने कहा कि पत्रकारिता समर्पण की माँग करती है। पहले पत्रकारिता आजादी के प्रश्न से जुड़कर मिशन थी किन्तु अब व्यवसायिकता का रंग उस पर गहरा चढ गया है। अतः हमें यह देखने की आवश्यकता है कि वर्तमान पत्रकारिता लोकतांत्रिक दायित्वों का निर्वहन कर पा रही है या नहीं या वह कितनी स्वतंत्र है?

पत्रकारिता के कंटेंट को हर हाल में बचाना आवश्यक है तमाम चुनौतियों के बावजूद भी। हिन्दी पत्रकारिता का चेहरा तभी दमक सकता है। अंत में उन्होंने आभासी मंच से जुडें सभी श्रोताओं के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन की। कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. मीनू अवस्थी ने किया। इस अवसर पर सम्पूर्ण हिन्दी-विभाग महाविद्यालय के अधिसंख्य शिक्षकगण, शोधार्थी, विद्यार्थी आदि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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