Varanasi 1

Vasant kanya mahavidyalay: वसंत कन्या महाविद्यालय में तुलसी दास एवं नन्द दास जयंती

Vasant kanya mahavidyalay: समारोह की मुख्य अतिथि थी प्रख्यात साहित्यकार प्रोफेसर चंद्रकला त्रिपाठी

रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 04 सितंबर: Vasant kanya mahavidyalay: वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा वाराणसी के हिंदी विभाग के तत्वावधान में तुलसीदास एवं नंद दास जयंती मनाई गई। ‘आज का समय और तुलसी के राम’ ‘और कवि गढ़िया नंददास जड़िया’ विषयक संगोष्ठी की मुख्य अतिथि एम एम वी की पूर्व प्राचार्या प्रोफेसर चंद्रकला त्रिपाठी एवं अध्यक्षता वी के एम की प्राचार्या प्रोफेसर रचना श्रीवास्तव ने किया।

समारोह में व्याख्यान देते हुए विषय विशेषज्ञ प्रोफेसर चंद्रकला त्रिपाठी (पूर्व प्राचार्या, महिला महाविद्यालय काशी हिंदू विश्वविद्यालय) ने कहा कि हमारा समय कलिकाल का प्रचंड समय है। ऐसे समय में तुलसीदास ने रामराज्य की कल्पना की। उन्होंने आगे कहा कि असत्य व्यक्ति नहीं प्रवृत्ति है। रावण व्यक्ति नहीं प्रवृत्ति है।

विषय विशेषज्ञ प्रोफेसर श्रद्धा सिंह (हिंदी विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय) ने नंददास पर अपना अभिभाषण प्रस्तुत करते हुए कहा कि नंददास अष्टछाप के ऐसे कवि हैं जिनके भाव पक्ष और कला पक्ष दोनों प्रौढ़ कलामय एवं संगीतमय हैं। यह हिंदी के दंडी माने जाते हैं। इनका पूरा ध्यान लालित्य पर रहा इसलिए इनकी कविताओं में एक गूंज है।

इस अवसर पर महाविद्यालय की लोकप्रिय प्रबंधक उमा भट्टाचार्या ने अपने आशीर्वचन से सभी को अभीसिंचित किया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय की विदुषी प्राचार्या प्रोफेसर रचना श्रीवास्तव ने कहा कि विश्व में विश्वनाथ को देखने का दृष्टिकोण ही हमें विश्व सहृदयी बना सकता है। इन्होंने सत्यानास्ति परोधर्म: की व्याख्या करते हुए रामचरितमानस को सर्वोच्च स्थान पर प्रतिष्ठित किया।

विषय प्रस्थापन करते हुए ख्याति प्राप्त लेखिका एवं विभागाध्यक्षा प्रोफेसर आशा यादव ने कहा कि तुलसीदास और उनका काव्य भारतीय जनमानस के लिए एक अमूल्य धरोहर है। वर्तमान की विषम परिस्थितियों में तुलसी के राम सार्थक जीवन तथा लोक चेतना उन्मुख करने की प्रबल प्रेरणा से अनुप्राणित हैं। नंददास सूर के समकालीन और अष्टछाप के कवियों में सूर के बाद अप्रतिम स्थान रखने वाले कृष्ण भक्त कवि हैं। शब्दों के प्रति सजगता, काव्य शास्त्र के ज्ञाता एवं रास पंचाध्यायी जैसे शास्त्र सम्मत माधुरी और लालित्यपूर्ण ग्रंथों के रचयिता होने के कारण ही उनके लिए… कवि गढ़िया नंददास जड़िया…. जैसी उक्ति प्रसिद्ध है।

स्नातक तृतीय वर्ष की छात्रा रितिका ने नंददास के व्यक्तित्व एवं कृतित्व एवं विष्णु प्रिया ने तुलसीदास का व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर भाषण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ संगीत विभाग की विभागाध्यक्षा प्रो. सीमा वर्मा के निर्देशन में छात्राओं द्वारा कुलगीत एवं तुलसी प्रशस्ति की सुमधुर प्रस्तुति से हुआ।

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में वसंत कन्या महाविद्यालय के ‘किताब वाला समिति’ के द्वारा प्रोफेसर चंद्रकला त्रिपाठी के उपन्यास ‘चन्ना तुम उगिहो’ पर पुस्तक परिचर्चा आयोजित की गई। जिसका शुभारंभ करते हुए डॉ शशि केश कुमार गौड़ ने किताब वाला समिति के उद्देश्य और उसका परिचय दिया।

लेखिका ने अपनी पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आरंभ से अंत तक उपन्यास के हर पात्र पाठक को जोड़ें रखते हैं। यह एक ऐसी स्त्री की कथा है जिसे उसका पति उसे छोड़ने के बाद 12 वर्ष बाद लौट कर आता है और फिर उससे यह अपेक्षा की जाती है कि वह उसे स्वीकार कर ले। उपन्यास के प्रत्येक पात्र अपनी एक सशक्त भूमिका अदा करते हैं। यह ग्रामीण परिवेश के यथार्थ को उजागर करने वाला एक अनूठा उपन्यास है।

कार्यक्रम का सुचारु रुप से सुगठित संचालन डॉ प्रीति विश्वकर्मा ने तथा धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक डॉ शशि कला ने किया दिया।
सम्पूर्ण समारोह को डॉक्टर सपना भूषण ने लिपिबद्ध किया। आयोजन में स्नातक प्रथम वर्ष, तृतीय वर्ष एवं परास्नातक की छात्राओं ने सक्रिय सहभागिता की।

इस अवसर पर महाविद्यालय के संस्कृत विभाग की विदुषी डॉ मंजू कुमारी राय, हिंदी विभाग की डॉ शुभांगी श्रीवास्तव, डॉ ललिता सिंह तथा महाविद्यालय की प्रोफेसर स्वरवंदना शर्मा, डॉ मीनू पाठक, डॉ सुमन सिंह, डॉ आशीष कुमार सोनकर, डॉ विजय कुमार, डॉ सुनीता दीक्षित, डॉ. आरती कुमारी, डॉ आरती चौधरी, वर्षा सिंह आदि की उपस्थिति महत्वपूर्ण थी।

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