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Spiritual Tradition of Maharashtra: हिंदी विश्‍वविद्यालय में ‘महाराष्‍ट्र की आध्‍यात्मिक परंपरा’ पर व्‍याख्‍यान

Spiritual Tradition of Maharashtra: भारत की अंतर्निहित एकता, ज्ञानसाधना ही एक भारत श्रेष्‍ठ भारत है : प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल


वर्धा, 24 फरवरी: Spiritual Tradition of Maharashtra: एक भारत श्रेष्‍ठ भारत योजना के अंतर्गत ‘महाराष्‍ट्र की आध्‍यात्मिक परंपरा’ विषय पर आयोजित विशेष व्‍याख्‍यान की अध्‍यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने कहा है कि भारत की अंतर्निहित एकता को जानना ही स‍ही मायने में एक भारत है और ज्ञान साधना में लगा समाज ही श्रेष्‍ठ भारत है। महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय एवं ओडिशा केंद्रीय विश्‍वविद्यालय, कोरापुट के संयुक्‍त तत्‍वावधान में गुरूवार, 24 फरवरी को गालि़ब सभागार में ‘महाराष्‍ट्र की आध्‍यात्मिक परंपरा’ विषय पर विशिष्‍ट व्‍याख्‍यान का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर ओडिशा केंद्रीय विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. शरत कुमार पलीता ने उद्घाटन भाषण दिया। कार्यक्रम में मुख्‍य अतिथि के रूप में हरि भक्‍त परायण चारूदत्‍त आफळे महाराज (पुणे) तथा इग्‍नू नई, दिल्‍ली के सह आचार्य डॉ. विष्‍णु मोहन दास ने विचार व्‍यक्‍त किये। कार्यक्रम में प्रतिकुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्‍ल, प्रो. मनोज कुमार, प्रो. कृपाशंकर चौबे मंचासीन थे।

अपने अध्‍यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. शुक्‍ल ने भारत की श्रेष्‍ठतम सांस्‍कृतिक एवं आध्‍यात्मिक परंपरा का उल्‍लेख करते हुए छत्रपति शिवाजी महाराज, भगवान आदि शंकराचार्य, सिकंदर से लेकर संत तुकाराम, भगवान जगन्‍नाथ, विठ्ठल और पांडुरंग महाराज के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्‍होंने कहा कि भारत एक है और श्रेष्‍ठ है। हम महाराष्‍ट्र एवं ओडिशा के संदर्भ में अद्वैत भाव से देखने एवं समझने के लिए एकत्र हुए हैं। भारत भक्ति और मुक्ति का केंद्र रहा है।

महाराष्‍ट्र और ओडिशा की साझा संस्‍कृति का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा कि ओडिशा की भगवान जगन्‍ना‍थ की रथयात्रा और महाराष्‍ट्र की पंढरपुर की वारी एक भारत को चरित्तार्थ करती है। रथयात्रा एक वारी में एकरूप एवं एक लक्ष्‍य होकर अभेद भाव से लोग सम्मिलित होते हैं, यही एक भारत है। दोनों राज्‍यों की साधना परंपरा और भक्ति, शक्‍त‍ि एवं समर्पण आदि में भी समानताएं हैं। उन्‍होंने कहा कि भारत सरकार की ‘एक भारत श्रेष्‍ठ भारत योजना’ भाषा और संस्‍कृति को जानने तथा पहचानने का महत्‍वपूर्ण माध्‍यम है। इससे भारत के स्‍वत्‍व एवं प्रकाश से परिचय होगा।

हरि भक्‍त परायण चारूदत्‍त आफळे महाराज (पुणे) ने ऑनलाइन माध्‍यम से विचार रखते हुए कहा कि भारत को श्रेष्‍ठ बनाने में भारत की आध्‍यात्मिक शक्ति का बड़ा योगदान रहा है। हमारी शिक्षा और प्रगति की मूल ऊर्जा का स्रोत आ‍ध्‍यात्मिकता है। महाराष्‍ट्र की आध्‍यात्मिक परंपरा का वर्णन करते हुए उन्‍होंने कहा कि, महाराष्‍ट्र में आध्‍यात्मिकता की नीव संत ज्ञानेश्‍वर महाराज ने रखी। उन्‍होंने ‘विश्‍व ही मेरा घर है’ का संदेश देकर विश्‍व कल्‍याण की कामना की। उन्‍होंने ‘अवघाची संसार सुखाचा करीन, आंनदे भरीन तिन्‍ही लोक’ अर्थात विश्‍व के सुख और खुशहाली में अपना कल्‍याण माना। संत ज्ञानेश्‍वर के विचारों को संत नामदेव ने सुदूर दक्षिण और उत्‍तर भारत में फैलाया। संतो ने नाम स्‍मरण की ऐसी दवा दी जो मन को प्रसन्‍न रखने का काम करती है।

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चारूदत्‍त महाराज ने संत एकनाथ महाराज के जाति भेद उन्‍मूलन के कार्य की चर्चा करते हुए कहा कि उन्‍होंने भारूड के माध्‍यम से लोकभाषा में जागरण का कार्य किया इसीलिए महाराष्‍ट्र में समृद्ध संत परंपरा को ‘ज्ञानदेवे रचिला पाया, तुका झालासे कळस’अर्थात संत ज्ञानेश्‍वर महाराज ने नींव रखी और संत तुकाराम ने आध्‍यात्मिकता को ऊंचाई प्रदान की। उन्‍होंने यह भी कहा कि विद्यार्थियों में संत साहित्‍य के प्रति रूचि पैदा करने के लिए विश्‍वविद्यालयों को पहल करनी चाहिए।

अपने उद्घाटन भाषण में ओडिशा केंद्रीय विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. शरत कुमार पलीता ने कहा कि एक भारत श्रेष्‍ठ भारत की योजना के माध्‍यम से ओडिशा और महाराष्‍ट्र की सांस्‍कृतिक विविधता को प्रोत्‍साहन तथा भाषा, साहित्‍य एवं पर्यटन संबंधी आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा। उन्‍होंने कहा कि इस योजना के अंतर्गत दोनों विश्‍वविद्यालयों ने अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया है। आगामी वर्षों में इस दिशा में और ठोस कार्यक्रमों का आयोजन करते हुए संस्‍कृति, पर्यटन और विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा।

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डॉ. विष्‍णु मोहन दास ने कहा कि ओडिया और मराठी भाषा, संस्‍कृति, खानपान, त्‍यौहार और रहन-सहन में काफी समानताएं है। उन्‍होंने कहा कि ज्ञान परंपरा की दृष्टि से भारत श्रेष्‍ठ था और रहेगा। हमें एक भारत श्रेष्‍ठ भारत योजना के माध्‍यम से देशज ज्ञान और संस्‍कृति को प्रोत्‍साहन देना चाहिए। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्‍ज्‍वालन, मंगलाचरण और कुलगीत से किया गया । विश्‍वविद्यालय की छात्रा सुश्री संचिता ने गणेश वंदना प्रस्‍तुत की। स्‍वागत वक्‍तव्‍य एवं वक्‍ताओं का परिचय एक भारत श्रेष्‍ठ भारत की नोडल अधिकारी डॉ. प्रियंका मिश्र ने दिया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. सूर्यप्रकाश पाण्‍डेय तथा विश्‍वविद्यालय की छात्रा सुश्री मौसम तिवारी ने किया। ओडिशा केंद्रीय विश्‍वविद्यालय, कोरापुट के एक भारत श्रेष्‍ठ भारत के नोडल अधिकारी डॉ. सौरव गुप्‍ता ने धन्‍यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में दोनों विश्‍वविद्यालयों के अध्‍यापक, अधिकारी, शोधार्थी और विद्यार्थी बड़ी संख्‍या में शामिल हुए ।