Samved Parayan Mahayagya

Samved Parayan Mahayagya: सामवेद की ऋचाओं से आर्यजनों ने हवन में आहुतियां प्रदान की

Samved Parayan Mahayagya: इदं न मम का भाव सिखाती है वैदिक संस्कृति- प्रोफेसर कमलेश शास्त्री

रिपोर्टः किशन वासवानी

माउंट आबू, 18 अक्टूबरः Samved Parayan Mahayagya: ऋषि-मुनियों की तपोस्थली अरावली पर्वतमाला में प्राचीन शिक्षा प्रणाली के अनुरूप आधुनिक विषयों का अध्ययन करने वाले ब्रह्मचारियों के मुखारविंद से सस्वर वेद मंत्रों के उच्चारण से आबूपर्वत स्थित आर्ष गुरुकुल महाविद्यालय की भव्य यज्ञशाला में सामवेद पारायण महायज्ञ के द्वितीय दिवस आर्य समाज से जुड़े देश भर से पधारे आचार्यों के मार्गदर्शन में भद्रपुरुषों व महिलाओं ने हवन में आहुतियां प्रदान की।

Samved Parayan Mahayagya: सम्मेलन के मुख्य वक्ता गुजरात विश्वविद्यालय अहमदाबाद के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ.कमलेश कुमार शास्त्री (गुरुकुल ट्रस्ट के महामंत्री) ने उपस्थित याज्ञिकों को हवन के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वैदिक संस्कृति इदं न मम का भाव सिखाती है। यज्ञवेदी में अग्नि देवता उत्तम समिधाएं, घृत, हवन सामग्री को समाहित कर पर्यावरण को सुगंधित करते हैं।

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सात्विक भाव से पुरुषार्थ पूर्वक अर्जित धन को दान देकर परोपकार के कार्यों में सहयोगी बनने से पुण्य के भागी बनते हैं। मानव जन्म व मृत्यु के समय खाली हाथ होता है। राष्ट्रहित में किए गए श्रेष्ठ कार्य का फल ही उसे प्राप्त होता है। आर्य जगत् के प्रसिद्ध भजनोपदेशक अमरसिंह (ब्यावर), ओम्प्रकाश तथा ब्रह्मचारियों ने प्रभु भक्ति के भजनों एवं देशभक्ति गीतों को मधुर संगीत के साथ प्रस्तुत किया।

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Samved Parayan Mahayagya: गुरुकुल ट्रस्ट के अध्यक्ष, यज्ञ के ब्रह्मा, आचार्य ओम्प्रकाश आर्य ने सामवेद का परिचय बताते हुए कहा कि इसके आदित्य ऋषि, उपासना विषय, गन्धर्ववेद उपवेद, पूर्वार्चिक, उत्तरार्चिक, महानाम्न्यार्चिक तथा 1875 मंत्र हैं। गुरुकुल के ट्रस्टी एवं महर्षि दयानन्द सरस्वती स्मृति भवन न्यास जोधपुर के मंत्री आर्य किशनलाल गहलोत, गुरुकुल के सहयोगी एवं परोपकारिणी सभा के सदस्य जयसिंह गहलोत, नरपतसिंह जोधपुर,बाबुलाल आर्य शिवगंज, उमाशंकर जोशी पालनपुर सपत्नीक यज्ञ में सम्मिलित हुए।

गुरुकुल के संस्थापक स्वामी धर्मानन्द सरस्वती द्वारा प्रारंभ आर्ष पाठविधि के माध्यम से गत 32 वर्षों में सैंकड़ों विद्यार्थी शिक्षित-दीक्षित होकर अपने कार्यक्षेत्र में राष्ट्रनिर्माण में लगे हुए हैं। महायज्ञ के मुख्य यजमान गणेशमल सोनी ने सपरिवार आहुतियां प्रदान की। आर्य वीर दल सिरोही के जिला संचालक आर्य दशरथ चारण, गुरुकुल के स्नातक रजनीकांत शास्त्री कर्णावती, कैलाश शास्त्री जोधपुर,गगेन्द्र शास्त्री ने योगाभ्यास सत्र एवं यज्ञ के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

त्रिदिवसीय सामवेद पारायण महायज्ञ में गुरुकुल के ट्रस्टी गणेशमल सोनी के सौजन्य से 121 किलोग्राम घी, उत्तम समिधाएं तथा 150 किलोग्राम हवन सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। यज्ञ सामग्री में मिश्रित विशेष औषधीय 48 सुगन्धित वस्तुए हींग, लोबान, गुडल, कपूर, ताल मखाना, किशमिश, बादाम, लौंग, जटामाॅंसी, सुगंधबाला, सुगन्ध कोकिला, दालचीनी, जायफल, जावित्री, बालछड़, तुम्बरु, सुपारी, बड़ी इलायची, कपूरकचरी, नागरमोथा, देवदार धूप, गुडास, पुष्प शंखी, गोला(पका हुआ नारियल), तिल, जौ,खांड, गुग्गुलु, हरड़, बहेड़ा, आंवला, गिलोय, तुलसी, चन्दन-चूर्ण, अगर, तगर, नीम-पत्र, राल, इन्द्रजौ, चावल, उड़द, मूॅंग, गुड़-शक्कर, गुलाब के फूल, गेंदे के फूल, देशी गौघृत।

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