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Mahatma Gandhi International Hindi University Vardha: अखिल भारतीय दर्शन-परिषद् का 65वॉं अधिवेशन शुरू

Mahatma Gandhi International Hindi University Vardha: नई पीढ़ी हमारे दार्शनिकों से अपरिचित : प्रो. कमलेशदत्त त्रिपाठी

संकलन: बी एस मिर्गे

वर्धा, 17 अगस्‍तः Mahatma Gandhi International Hindi University Vardha: महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय, वर्धा के कुलाधिपति प्रो. कमलेशदत्त त्रिपाठी ने कहा है कि भारत में दर्शन की लंबी परंपरा है परंतु नई पीढ़ी हमारे दार्शनिकों से अपरिचित है। हमारी परंपरा और मूल पर ही आघात हो रहे हैं और अतीत को भुलाया जा रहा है। हमें परंपरा और नवीनता के जुड़़ाव और सातत्‍य को ध्‍यान में रखते हुए चलना पड़ेगा। प्रो. त्रिपाठी आज अखिल भारतीय दर्शन-परिषद के 65वें अधिवेशन में उद्घाटकीय वक्‍तव्‍य दे रहे थे।

Mahatma Gandhi International Hindi University Vardha: प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि महात्‍मा गांधी और आचार्य विनोबा भावे की सर्वोदयी, सत्‍याग्रह और स्‍वदेशी दृष्टि मात्र एक नारा नहीं, अपितु एक गहन दर्शन है। उत्तर आधुनिकता के इस दौर में सर्वोदयी चिंतन परंपरा ही हमें मार्ग दिखा सकती है। उन्‍होंने कहा कि यह अधिवेशन समकालीन विश्‍व की भारी वैचारिक पृष्‍ठभूमि में हो रहा है। भारतीय दर्शन इसके केंद्र में तथा समग्र दर्शन इसकी परिधि में है।

Mahatma Gandhi International Hindi University Vardha: उन्‍होंने कहा कि आज का परिवेश तकनीकी नवसाम्राज्‍यवाद और सांस्‍कृतिक साम्राज्‍यवाद का परिणाम है। महाव्‍याख्‍यान का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा कि महाव्‍याख्‍यान को भारतीय संदर्भ में जोड़ना चुनौ‍तीपूर्ण कार्य है। उन्‍होंने सर्वोदयी चिंतन परंपरा को एक व्‍यापक दर्शन करार देते हुए कहा कि महात्मा गांधी, विनोबा भावे और बाबासाहब भीमराव अंबेडकर के विचार-दर्शन उत्तर आधुनिकता के इस चुनौ‍तीभरे दौर में उत्तर देने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।

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अध्‍यक्षीय उद्बोधन में हिंदी विश्‍वविद्यालय के कुलपति, निष्‍णात दर्शनशास्‍त्री प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने कहा कि श्रेष्‍ठ को उपार्जित कर उसका वितरण करना ही सर्वोदय है। उपभोग के लिए आवश्‍यक है उतना रखकर बाकी को त्‍याग देना, यह सर्वोदय का एक महत्‍वपूर्ण तत्व है। कोरोना काल में मजदूरों की मदद के लिए आगे आए लोगों का उदाहरण देते हुए उन्‍होंने कहा कि यही भारतीय जन का स्‍वभाव है। सर्वोदय की मूल क्रियाविधि त्‍याग और सेवा है।

Mahatma Gandhi International Hindi University Vardha: इस अवसर पर अखिल भारतीय दर्शन-परिषद् के अध्‍यक्ष प्रो. जटाशंकर ने परिषद् का परिचय दिया। 65वें अधिवेशन के प्रधान सभापति प्रो. डी. आर. भण्‍डारी ने कहा कि मानव कल्‍याण सर्वोदय का मुख्‍य लक्ष्‍य है। उन्‍होंने कहा कि हमारी परंपरा में सर्व धर्मसमभाव है और यह सभी को आगे बढ़ने का अवसर देती है। अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के महामंत्री प्रो. जे. एस. दुबे ने अखिल भारतीय दर्शन-परिषद् के 2020 के पुरस्‍कारों की घोषणा की।

उद्घाटन सत्र का संचालन दर्शन एवं संस्‍कृति विभाग के अध्‍यक्ष डॉ. जयंत उपाध्‍याय ने किया तथा संस्‍कृति विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. नृपेंद्र प्रसाद मोदी ने स्‍वागत भाषण किया। सहायक आचार्य डॉ. सूर्य प्रकाश पाण्‍डेय ने धन्‍यवाद ज्ञापित किया। डॉ. वागीश राज शुक्‍ल ने मंगलाचरण प्रस्‍तुत किया। उद्घाटन सत्र के बाद व्‍याख्‍यानमालाएं आयोजित की गईं जिसमें देश भर के अध्‍येताओं ने सहभागिता की। अखिल भारतीय दर्शन-परिषद और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सहयोग से आयोजित यह पांच दिवसीय अधिवेशन 21 अगस्‍त 2021 तक चलेगा।

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