Dr Bhimrao Ambedkar Collage: आजादी के अमृत महोत्सव पर डॉ. भीमराव आंबेडकर महाविद्यालय में वेबिनार का आयोजन
Dr Bhimrao Ambedkar Collage: कार्यक्रम का आरंभ आयोजन समिति द्वारा सरस्वती वंदना एवं आभासी द्वीप प्रज्वलित किया गया
अहमदाबाद, 23 सितंबरः Dr Bhimrao Ambedkar Collage: डॉ. भीमराव अंबेडकर महाविद्यालय ने आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष पर आज दिनांक 23 सितंबर 2021 को एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन पूर्वान्ह 3:00 से 5:00 बजे के बीच में संपन्न हुआ। वेबीनार का विषय “इंडियास जर्नी टुवर्ड्स इंडिपेंडेंट: प्रोस्पेक्टिव ऑफ वूमेन, सिनेमा एवं हिंदी भाषा” था। इस आभासी संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ प्राध्यापकों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम का आरंभ आयोजन समिति द्वारा सरस्वती वंदना एवं आभासी द्वीप प्रज्वलित किया गया। तत्पश्चात कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत संयोजिका डॉ. मोनिका अहलावत की तरफ से एक परिचयात्मक टिप्पणी के साथ हुई। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए डॉ. अहलावत ने इस वेबीनार के संरक्षक एवं महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ जी के अरोड़ा को आमंत्रित किया। प्रोफेसर जीके अरोरा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए आजादी के महत्व को समझाते हुए अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए।
उन्होंने खासकर विद्यार्थियों को राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका सुनिश्चित करने एवं आजादी के सही मतलब को समझने एवं समझाने पर बल दिया। इस राष्ट्रीय वेबीनार के सहसंयोजक कुमार सत्यम, नरेंद्र कुमार भारती, सूचित कुमार यादव ने मुख्य वक्ताओं का संक्षिप्त परिचय कराया। हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर शिओराज सिंह, समाज कार्य विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर पामेला सिंगला एवं राजनीति विज्ञान के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रोफेसर संजीव कुमार इस संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे।
प्रोफेसर शिओराज सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमने आजादी की कितने सालों के बाद क्या सीखा इसका आकलन करना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही उन्होंने हिंदी भाषा के महत्व समझाते हुए इसकी उपयोगिता बढ़ाने की बात कही। प्रोफ़ेसर पामेला सिंगला ने अपनी प्रस्तुति में आजादी के संग्राम में महिलाओं के योगदान से परिचय कराया। उन्होंने विभिन्न आंदोलनों का जिक्र करते हुए महिला स्वतंत्रता सेनानी जैसे अरुणा आसफ अली, सरोजिनी नायडू, दुर्गाबाई, रामादेवी चौधरी, आशा लता सेन, कमलादेवी चट्टोपाध्याय, सुचेता कृपलानी एवं कस्तूरबा गांधी आदि नामों का विशिष्ट वर्णन किया।
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प्रोफेसर सिंगला ने कहा कि महात्मा गांधी आजादी के आंदोलनों में महिलाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते थे। उन्होंने आजादी के बाद महिलाओं की स्थिति को भी रेखांकित किया। जब हम आजादी के अमृत महोत्सव को मना रहे हैं तो हम महिलाओं की समसामयिक स्थिति का अवलोकन करना भी अति आवश्यक हो जाता है। उन्होंने अनौपचारिक क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति, निर्भया केस, रूप कंवर सती कांड, शाहबानो केस, भंवरी देवी केस इत्यादि का जिक्र करते हुए आजादी के सही मतलब को पुनः परिभाषित करने की बात कही। आजाद भारत में आज भी महिलाओं को डायन, हाफ वीडो इत्यादि की संज्ञा दी जाती है एवं साथ ही उनको ऑनर किलिंग, दुर्व्यवहार जैसी भी समस्याओं से जूझना पड़ता है।
अंतिम वक्ता के तौर पर प्रोफेसर संजीव कुमार का वक्तव्य “आइडिया ऑफ इंडिया एवं हिंदी सिनेमा” इर्द-गिर्द रहा। हिंदी सिनेमा का प्रभाव भारत के पुनर्रचना में कितना महत्व रखता है। प्रोफेसर कुमार ने सरल शब्दों में इस आभासी कार्यक्रम में बताया। उन्होंने आजादी के बाद क्रमशः हर एक दशक में हिंदी सिनेमा एवं समाज के अन्योन्याश्रित संबंध को स्थापित करने की कोशिश की।
इस वेबीनार का मुख्य उद्देश्य आजादी की 75वी वर्षगांठ मनाते हुए उन सभी कर्मयोगियों एवं गुमनाम नायकों को याद करना था। समाज के हर वर्ग के लोगों का योगदान इस आजादी की लड़ाई में रही है। यह वक्त है सभी को याद करते हुए आजादी के उस मकसद एवं सपने को प्राप्त करने का प्रयास करना जो हमारे आजादी की योद्धाओं ने देखा था। इस वेबीनार में महाविद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थी एवं गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों सहित अन्य प्रतिभागियों ने भी हिस्सा लिया।
कार्यक्रम को गूगल मीट के माध्यम से आयोजित की जा रही थी साथ ही इसका सीधा प्रसारण डॉ. भीमराव अंबेडकर कॉलेज के ऑफिशियल फेसबुक पेज पर भी किया जा रहा था। कार्यक्रम के अंत में इस संगोष्ठी के संयोजिका डॉ. मोनिका अहलावत द्वारा सभी प्रतिभागियों के साथ साथ कॉलेज के प्राचार्य, अतिथि वक्ताओं एवं सह-संयोजक कुमार सत्यम, नरेंद्र भारती, सूचित कुमार यादव सहित तकनीकी मदद के लिए वेणुगोपाल का भी धन्यवाद ज्ञापन किया गया। अंतिम औपचारिकता के तौर पर राष्ट्रगान गाने के साथ इस महत्वपूर्ण आभासी संगोष्ठी का समाप्ति हुई।