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Ambaji digital facility: सीआरडीएफ के सहयोग से बढ़ी श्रद्धालुओं की सुविधा, डिटिजल गुजरात का डंका

  • क्यूआर कोड स्केन करने पर मिलेगी सरकार की सारी व्यवस्थाओं और उसके स्थलों की पूर्ण जानकारी

Ambaji digital facility: मेले में गुम हुए बच्चों को क्यूआर स्केन कोड की मदद से उनके माता-पिता तक पहुंचाने के लिए ‘मातृमिलन प्रोजेक्ट’

गांधीनगर, 07 सितंबरः Ambaji digital facility: अंबाजी धाम में भादरवी पूनम के मेले की शुरुआत हो चुकी है। मां अंबा के दर्शन के लिए गुजरात सहित देश भर से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सीआरडीएफ द्वारा इस वर्ष पवित्र यात्राधाम बोर्ड के साथ मिलकर तथा विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर अंबाजी में यात्री सुविधा के आयोजन की समीक्षा की जा रही है। इसके साथ ही सीआरडीएफ ने यात्रियों के लिए कई तरह की सुविधाओं की व्यवस्था, पार्किंग सुविधा की डिजाइन और अनाउंसमेंट सिस्टम पर भी काम किया है।

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राज्य सरकार धार्मिक पर्यटन स्थलों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में पवित्र यात्राधाम बोर्ड ने इन सभी स्थलों पर हर तरह की सुविधाएं विकसित की हैं ताकि तीर्थयात्रियों को किसी भी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े। राज्य के कोने-कोने से आने वाले लाखों पदयात्रियों के लिए अंबाजी मार्ग पर सेवा कैंप का विशेष आयोजन किया गया है।

सेवा कैंप में चाय-नास्ता, मेडिकल सेवा कैंप, मालिश कैंप, आराम व्यवस्था तथा रात्रि विश्राम के लिए अद्यतन व्यवस्थाएं की गई हैं। कोरोना काल के दो वर्षों के बाद आयोजित हो रहे मेले को लेकर माई भक्तों में जबर्दस्त उत्साह देखा जा रहा है।

तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए क्यूआर कोड की पहल

इस बार अंबाजी में तीर्थयात्रियों को किसी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े, इसके लिए टेक्नोलॉजी का भी उपयोग करते हुए क्यूआर कोड की पहल की गई है। इसे स्केन करने पर सरकार द्वारा की गई सभी व्यवस्थाओं और उनके स्थलों के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध होगी।

‘मातृमिलन प्रोजेक्ट’ का आयोजन

अंबाजी मेले में परिवार से बिछड़े या गुम हुए बच्चों का परिवार के साथ सुखद मिलन कराने के लिए अनोखा ‘मातृमिलन प्रोजेक्ट’ शुरू किया गया है। जिला प्रशासन और वोडाफोन आइडिया के संयुक्त तत्वावधान में ‘मातृमिलन प्रोजेक्ट’ का आयोजन किया गया है। इसके अंतर्गत प्रत्येक बच्चे को एक क्यूआर कोड कार्ड पहनाया जाता है।

इस क्यूआर-स्केन कोड में बच्चे के अभिभावक का मोबाइल नंबर जोड़कर लॉक किया जाता है। इस डिजिटल पहल की मदद से मेले में गुम हुई महिसागर जिले की दो बेटियों का उनकी माता के साथ सुखद मिलन कराया गया था।

अपने परिवार के साथ पैदल चलकर मां अंबा का दर्शन करने पहुंचीं नेहा प्रजापति ने कहा कि, “कोरोना के दो वर्षों के बाद जब इस तरह से आयोजन किया जा रहा है, यह भक्तों के लिए विशेष है।

अब फोरलेन सड़कों की सुविधा से लेकर यातायात का नियमन भी इस तरह किया जा रहा है कि पदयात्री श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। सरकार की ओर से की गई विसामा (आराम स्थल) और राहत कैंप की व्यवस्था के कारण बिना थकावट महसूस किए अंबाजी पहुंचकर मां के दर्शन का लाभ ले पाए हैं।”

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