115th Birth Anniversary of Ramdhari Singh Dinkar

115th Birth Anniversary of Ramdhari Singh Dinkar: राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 115वीं जयंती समारोह

  • विलक्षण प्रतिभा के धनी दिनकर जी वीररस के साथ ही श्रृंगारिक रचनाओं के हैँ अमर कविः रविन्द्र नाथ राय

115th Birth Anniversary of Ramdhari Singh Dinkar: ब्रह्मर्षि जागरण मंच के तत्वावधान में आयोजित समारोह में विद्वानों ने अर्पित किये भावभीनी श्रद्धा सुमन

रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 25 सितंबर: 115th Birth Anniversary of Ramdhari Singh Dinkar: वीररस के अद्वितीय कवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मजयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। स्वामी सहजानंद सरस्वती स्मृति न्यास गाजीपुर द्वारा प्रवर्तित संगठन ब्रह्मर्षी जागरण मंच के तत्वावधान में साहित्य अकादमी पुरस्कार और भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित राष्ट्रकवि पद्म विभूषण, ब्रह्मर्षि कुलभुषण वीररस, ओज और श्रृंगार के कवि शिरोमणि, रामधारी सिंह दिनकर जी की 115 वीं जयंती समारोह आयोजित की गई।

इस अवसर पर आयोजित गोष्टी में जनपद के कोने-कोने से पधारे ब्रह्मर्षि बंधुओ ने दिनकर जी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और उसे अनुकरणीय बताते हुए आत्मसात करने का संकल्प लिया। गोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए स्वामी सहजानंद सरस्वती स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉक्टर रविंद्र नाथ राय ने कहा रामधारी सिंह दिनकर एक विलक्षण प्रतिभा थे।

जिन्होंने एक तरफ जहां ओज की कविताएं लिखी वहीं दूसरी तरफ उन्होंने शृंगारिक रचनाएं भी करके अपना नाम अमर कर दिया। ओम नारायण प्रधान ने कहा कि रामधारी सिंह दिनकर एक कॉलजयी व्यक्तित्व थे जो कभी भी अपने सिद्धांतों से डिगे नहीं। हिंदी की दुर्दशा के लिए तत्कालीन सरकार के प्रमुख जवाहर लाल नेहरू को भी खरी खोटी सुनाने से नहीं हिचकते थे।

प्रेम शंकर राय उर्फ जवाहर राय ने कहा कि रामधारी सिंह दिनकर बचपन से ही विलक्षण मेधा के व्यक्ति थे. उन्होंने बचपन में ही अपने विद्यालय में पढ़ने के दौरान ही कविताओं की रचना प्रारंभ कर दी थी । सिद्धांत वादी होने के कारण उन्हें जीवन में आर्थिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ा था किंतु कभी उन्होंने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।

बच्चा बाबू राय ने कहा कि रामधारी सिंह दिनकर ने साहित्य और इतिहास की बेजोड़ रचना संस्कृत के चार अध्याय लिखा है जिसे जितनी भी बार पढ़ा जाए कुछ न कुछ नया उसमें में मिलता है। यह एक अद्भुत रचना है। संजय राय ने रामधारी सिंह दिनकर के सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाने पर बल दिया। शशिधर राय ने उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि रामधारी सिंह दिनकर अपने समाज के मुकुटमणि हैं जिनका जीवन संघर्ष अनुकरणीय है।

रास बिहारी राय ने रामधारी सिंह दिनकर के जन्मदिवस के अवसर पर समाज के लोगों को एकजुट होकर के पुनः समाज से रामधारी सिंह दिनकर जैसा व्यक्तित्व पैदा करने की नसीहत दिया। इस अवसर पर अपनी कविताओं से श्रद्धांजलि प्रस्तुत करते हुए कवि दिनेश शर्मा ने दिनकर जी पर अपनी कविता पाठ प्रस्तुत किया।

मारुति कुमार राय एडवोकेट ने अपने उद्गार में कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने प्रथम बार राज्यसभा का गठन होने पर रामधारी सिंह दिनकर को राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया। अवसर पढ़ने पर रामधारी सिंह दिनकर ने उनकी आलोचना करते हुए संसद में कविता पाठ करके, सदन में सत्तारूढ़ लोगों को स्तब्ध कर दिया।

रामधारी सिंह दिनकर एक बहुआयामी व्यक्तित्व के व्यक्ति थे जिनकी कविताओं में विविधता दिखती है. एक तरफ जहां उन्होंने श्रृंगार की कविता उर्वशी लिखी जिसके लिए उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला वहीं दूसरी तरफ कुरुक्षेत्र, हुंकार आदि कविताओं के माध्यम से उन्होंने लोगों में जोश को जगाने का काम किया। वहीं संस्कृति के चार अध्याय में भारतीय संस्कृति का संपूर्ण इतिहास लिखकर युगांतरकारी साहित्य का सृजन किया।

गोष्ठी में विपुल जी राय, अरुण कुमार राय, रविंद्र नाथ राय, वीरेंद्र राय, शिव शंकर राय, शिव केसरी राय, के .एन. राय कमलेश, प्रेम प्रकाश नारायण राय, सदा नन्द राय, सुधीर राय, शिवमुनि राय, अनिल राय, गजानन राय, रामकिंकर राय, विनोद राय, राम प्रवेश राय, चंद्रबली राय और कृष्ण नाथ राय आदि अनेक गणमान्य लोगों ने सहभागिता किया। गोष्ठी की अध्यक्षता प्रोफेसर रामाश्रय राय आभार ज्ञापन राम नाथ ठाकुर एवं संचालन मारुति कुमार राय एडवोकेट ने किया।

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