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Prem: प्रेम आंखों से निकल कर…

Prem: !!प्रेम!!

Rajesh rajawat
राजेश राजावत “ओजस”
दतिया, मध्य प्रदेश

Prem: प्रेम,,,,
आंखों से निकल कर
दिल में उतर कर
रूह को छूकर
बहा ले जाता है जज़्बातों की नदी में

रंग,,,
सुनहरे लगने लगते है
बेवजह चेहरे खिलने लगते है
एक ख्याल से महक उठता है मन
मध्यम मध्यम मौसम बदलने लगते हैं

आंखें,,,,
ख्वाब संजोने लगती है
धड़कने अजनबी की होने लगती हैं
सजने संवरने लगता है कोई
और जिंदगी अपनी खोने लगती है

हमनशी,,,,
दिल में बसने लगता है
नूर सा चेहरा चमकने लगता है
सोच सोचकर उनको ख्यालों में
लम्हा ओजस सा कोई लिखने लगता है…

प्रेम परवान चढ़ता है
और महकने लगता है…!

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