Parinda: कुछ बूंदों को समेट कर रखना है परिंडो में भरकर
Parinda: !!परिंडो!!
Parinda: छल-छल बहती धारा के
कुछ बूंदों को समेट कर
रखना है परिंडो में भरकर
थोड़ा उनपर दया कर!
प्यास सभी को लगती है
चाहे हो पक्षी, कीट या इंसान
हम अपना ख्याल रख सकते है
उनका कौन रखेगा ध्यान!
कई तालाबों को तबाह कर
हमने इमारते है बनाया!
अब हमारा भी फर्ज़ बनता है
प्रकृति का संरक्षण करना!
समय आ गया अब
मानवता दिखलाने का!
ज्यादा कुछ नहीं बस
थोड़ा धूप में तप कर
परिंडा भर पानी रखने का!
समय आ गया अब
मानवता दिखलाने का!
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