Paiso ka khel: ये जमाना पहले जैसा बिल्कुल भी ना रहा
Paiso ka khel !!पैसों का खेलः पहले पैसों की कीमत ना थी इस जगत में!!

ये जमाना पहले जैसा, बिल्कुल भी ना रहा
पहले पैसों की कीमत, ना थी इस जगत में
आज पैसों के लिए, हम सब इंसाने ने तो
बेच बैठा अपना ईमान, पैसों का खेल है आज।
पैसे तो इधर से उधर, जाते आते रहते हैं
किसी के पास हमेशा, रहने वाला चीज ना है
जो गलत काम करके, करता अर्जित धन को
उसके पास रहता ना धन, पैसों का खेल है आज।
पैसों के चलते आज, भाई भाई में बनता नहीं
पैसे के कारण अक्सर, होती लड़ाई-झगड़े
पैसा मां लक्ष्मी की, होती है स्वरूप यह धन
मेहनती के पास रहती ये, पैसों का खेल है आज।
क्या आपने पढ़ा…. Phoolon ki mahak: फूलों के महक में क्या छिपा? उस छिपी कलियों से जाकर पूछो
*हमें पूर्ण विश्वास है कि हमारे पाठक अपनी स्वरचित रचनाएँ ही इस काव्य कॉलम में प्रकाशित करने के लिए भेजते है। अपनी रचना हमें ई-मेल करें writeus@deshkiaawaz.in