Maa: तू ही है ममता की छाया, तू ही है ममता का मंदिर…
Maa: क्योंकि तू ही तो इस जीवन का आधार है, वरना माँ इस जीवन में तेरे बिना सब निराधार है…
“माँ“
तू ही है ममता की छाया, तू ही है ममता का मंदिर..
तू ही हम सबके अस्तित्व का कारण, तुझमे ही है प्रेमरूपी समंदर..
तू ही पालक, तू ही है प्रायोजक ,तू ही युग प्रवर्तक और संकटमोचक…
तू है अदभुत, तू अकल्पनीय, तेरी महिमा है विस्तारक.
तू ही दुनिया में आने का कारण, तुझसे है दुनिया ये कायम.
तेरे कितने रूप गिनाऊँ, तू तो है तारों सी अनगिन..
तू है परिपूर्ण, तू ही इस जीवन का मूल्य,
और ज्यादा क्या कहूँ?? तू खुद में है सम्पूर्ण..
तू रिश्तों में जन्नत, तेरे चरणों में अमृत,
बस दुआ है उस रब से तेरी पूरी हो हर मन्नत..
क्योंकि तू ही तो इस जीवन का आधार है,
वरना माँ (maa) इस जीवन में तेरे बिना सब निराधार है…
******
यह भी पढ़े…..Corona”कोरोना कोरोना करता है आदमी!”
*हमें पूर्ण विश्वास है कि हमारे पाठक अपनी स्वरचित रचनाएँ ही इस काव्य कॉलम में प्रकाशित करने के लिए भेजते है।
अपनी रचना हमें ई-मेल करें writeus@deshkiaawaz.in