House wife: चिमटा, बेलन, करची, कढ़ाई में सिमटी
!! गृहणी !!(House wife)
House wife: चिमटा, बेलन, करची, कढ़ाई में सिमटी
सुबह की चाय से रात के बादाम भीगाने पे जो अटकी
ये वही है ना जो बच्चों के टिफिन,बुजर्गो की सेवा में दिन रात खटकी
हर घर में पाई जाती, हमेशा परफेक्शन की दौड़ में अटकी
भूल सी जाती है अपनी पसंद,अब बस मूंग अंकुरित करती तो कभी मटकी
अपनो के भविष्य के लिए, दिन रात है ये खटकी
कभी कभी छू जाती है आसमान सारा,वो एक जो सबको है खटकी
तसल्ली कर लेती पूरी नारी जाती,
हम में भी कबलियत है बस अभी जिम्मेदारियों में भटकी
निकल भी जाए आगे तो,इस कोमल मन के भावों में द्वि धारी तलवार है अटकी
चिमटा,बेलन, करची, कढ़ाई में सिमटी
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