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Daughter: एक बेटी अब एक बहु बनने को चली है

Daughter: पिता की राजकुमारी अब पति की रानी बनने को चली है!

Daughter: चंचल मन अब स्थिर
होने को चला है!
मानस अब उत्तरदायित्व का
पर्वत उठाने को चला है!

कल तक थे जो नन्हें पैर
अब पायल से बंधने को चला है!
मासूमियत भरी आखों में
झिलमिल सपनें सजने को चला है!

होटों की खिलखिलाहट भरी हंसी
अब मुस्कुराहट बनने को चला है!
सुनहरे बालों की दो लंबी चोटियां
अब पुष्प से सजने को चला है!

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माथे पे थी न अब तक कोई सिकंज
अब रिश्तों का टीका लगने को चला है!
सर पर थी अब तक दुलारों की छाया
अब घूंगट से सजने को चला है!

एक बेटी अब
एक बहु बनने को चली है!
पिता की राजकुमारी
अब पति की रानी बनने को चली है!

मां की परछाई अब
सासू मां की दुलारी बनने को चली है!
एक लड़की अब अपने कल्पनाओं को
यथार्थ में जीने को चली है!

इस घर की सम्मान अब उस घर की
प्रतिष्ठा बनने को चली है!
अपने साथ अपने असंख्य सपनों को
बसते में भरकर ले जाने को चली है!
एक बेटी अब एक बहु बनने को चली है!

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