महिला दिवस (Happy women’s day) और नारी शिक्षा

Happy women's day, mamta kushwaha
ममता कुशवाहा, मुजफ्फरपुर, बिहार

हर नारी सिर्फ महिला दिवस (Happy women’s day) के दिन ही नहीं बल्कि हर दिन वो सम्मान पाने की पात्र है तथा हमे भी हर क्षेत्र में उनका हौसला बढ़ाना चाहिए ।

8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (Happy women’s day) मनाया जाता है ये तो सब जानते है महिलाओं के लिए मनाया जाता है परन्तु क्यों और कब से मनाया जाता है? बहुत लोग अनजान आज भी है ,1908 में न्यूयार्क शहर में 15 हजार औरतों ने एक मार्च निकालकर नौकरी में कम घंटो को करने की मांग की थी यही नहीं इसे और बेहतर वेतन के साथ -साथ मतदान करने के लिए अधिकार की मांग की तथा 1909 में इस दिन शोशलिस्ट पार्टी ने पहला राष्ट्रीय महिला दिवस जो कि 28 फरवरी को मनाया और बाद मे दो साल बाद 1913 में ये तारिख बदलाव करते हुए अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाने लगा । तब से हर साल 8 मार्च को नारी के सम्मान देने के लिए ये मनाया जाता है तथा इससे हर स्त्री का अस्तित्व को नया उमंग, जोश और हौसला बढ़े ,और वो भविष्य में एक अलग इतिहास रचे।

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आज अत्याधुनिकता के दौर में देखा जा रहा है कि शिक्षा अत्यंत आवश्यक है अर्थात शिक्षा का स्थान सर्वव्यापि है शिक्षा के बिना जीवन सार्थक नहीं हो सकता है। आज के युग में सही समाज निर्माण के लिए हमे शिक्षित होना अति आवश्यक है, सिर्फ पुरुष को ही शिक्षित होना जरुरी नहीं बल्कि स्त्री को भी शिक्षित होना बेहद आवश्यक है क्योंकि स्त्री अबला नहीं होती । बस कुछ लोगों का सोच कही न कही नीचा है जो स्त्री का अपमान करते रहते हैं, एक स्त्री जननी होती है अत: एक इंसान इस धरती पर लाने का ताकत रखती है और मौत के मुँह में लड़कर एक बच्चे को जन्म देती हैं ।

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देखा जाए तो एक स्त्री सिर्फ घर की शोभा बढ़ाने वाली नहीं रही वो घर के चारदिवारी से निकलकर ऊँची उड़ान भरने लगी है हर क्षेत्र में अपना नाम करने लगी है, प्रतिभासिंह पाटिल ,कल्पना चावला, इंदिरा गांधी, मैरी मैरी कॉम,सुषमा स्वराज हिमा दास जी इत्यादि ने एक अपना अलग इतिहास रचा है और ये सब संभव सिर्फ उनके शिक्षा और हौसले से हो पाया है ।

परन्तु आज के दौर में नारी का जहा एक तरफ सम्मान और उन पर गर्व किया जा रहा है तो कही न कही उनका अस्तित्व खतरे में देखा जा रहा है क्योंकि नारी के प्रति कुछ लोगों का मानिसकता अब भी बहुत छोटी और नीच है जैसे वो पढ़ लिखकर क्या कर लेगी तो स्त्री अबला इत्यादि और स्त्री को मात्र शोषन मात्र वस्तु समझना और जब कोई लड़की बहुत कोशिश और संघर्ष करके अपने माता-पिता को समझा कर अपने सपनो के साथ उड़ान भरने निकलती है तो वह बलात्कार और तेजाब पीड़ित जैसी घटीया घटना का शिकार हो जाती है और इस एक घटना को देख लड़कियों के घर से निकलने पर रोक लग जाती हैं ।

आखिर अत्य आधुनिकता के दौर भी इस तरह का घटना क्यों होता है? और सरकार के कानून व्यवस्था कहा चला जाता है? मेरा मनाना है कि ऐसे दोषी के लिए कड़ी से कड़ी सजा देने का एक नया कानून बनाये जिससे इस प्रकार का घटना दूबारा ना हो तथा हर नारी को अपने हक, सुरक्षा के लिए जागरुक होना बेहद जरूरी है और हर स्त्री को इतन शिक्षित व ताकतवर होना चाहिए कि वो खुद स्वावलंबी रहे । अत: हर नारी सिर्फ महिला दिवस (Happy women’s day) के दिन ही नहीं बल्कि हर दिन वो सम्मान पाने की पात्र है तथा हमे भी हर क्षेत्र में उनका हौसला बढ़ाना चाहिए ।

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