Lata mangeshkar funeral: स्वर कोकिला लता मंगेशकर का राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
Lata mangeshkar funeral: लता मंगेशकर को उनके भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर ने मुखाग्नि दी
बॉलीवुड डेस्क, 06 फरवरीः Lata mangeshkar funeral: भारत की स्वर कोकिला लता मंगेशकर अब हमेशा के लिए जा चुकी हैं। गायिका का राजकीय सम्मान के साथ मुंबई केे शिवाजी पार्क में अंतिम संस्कार (Lata mangeshkar funeral) किया गया। लता मंगेशकर को उनके भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर ने मुखाग्नि दी। अब लता मंगेशकर हमेशा के लिए पंचतत्व में विलीन हो गई हैं।
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तीनों सेनाओं ने लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर को 21 तोपों से सलामी दी। इस अंतिम संस्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान, आमिर खान, अनुपम खेर, लिरिसिस्ट जावेद अख्तर सहित पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर भी पहुंचे थे।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिवाजी पार्क पहुंचे और उन्होंने लता दीदी को अंतिम विदाई दी और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी लता मंगेशकर को अपनी बड़ी बहन मानते थे और लता मंगेशकर भी अपने भाई (प्रधानमंत्री) के लिए गुजराती व्यंजन बनाती थीं। लता दीदी को श्रद्धांजलि देने के बाद प्रधानमंत्री मोदी शिवाजी पार्क से रवाना हुए।
अगर गायिका नहीं होती तो लेखिका होतीं लता मंगेशकर
लता मंगेशकर के जीवनीकार हरीश भिमानी ने बताया कि राष्ट्र के साथ उन्हें बहुत प्रेम था जितना उन्हें संगीत से था। वे चाहती थीं भारत एक मजबूत राष्ट्र बनें, भारत का ध्वज सबसे ऊंचा लहराए। अगर वह गायिका न होतीं तो एक लेखिका होतीं, जब उनसे पूछा कि आप केवल गाना क्यों गाती गई तो उन्होंने कहा कि जब मेरा जन्म हुआ तो भगवान ने मुझे कहा धरती पर जा और गाना गा और वाकई में उन्होंने अपना सबकुछ संगीत में समर्पित कर दिया।
तिरंगे में लिपटी लता मंगेशकर के चेहरे पर अपनी अंतिम यात्रा में भी एक अलग ओज नजर आया। माथे पर चंदन और कुमकुम का टीका और साथ में पूरा परिवार। सेना की जीप रास्ता तो दिखा रही थी लेकिन सेना का ट्रक भी बस मुंबई की सड़कों पर रेंग ही पा रहा था। ये वहीं सड़कें हैं जिन पर लता मंगेशकर कई-कई किमी पैदल चलकर स्टूडियो तक पहुंची।
बता दें कि केंद्र सरकार ने लता मंगेशकर के निधन पर दो दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है और इस बीच राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर को फूलों से सजे ट्रक से शिवाजी पार्क लाया गया और हजारों की संख्या में लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए सड़क पर उमड़ पड़े।