Pollution: केजरीवाल सरकार प्रदूषण को काबू करने में सफल, जानें रिपोर्ट पर क्या बोले पर्यावरण मंत्री गोपाल राय
केजरीवाल सरकार दिल्ली में प्रदूषण (Pollution) को काबू करने में सफल रही है
नई दिल्ली, 31 मार्चः केजरीवाल सरकार दिल्ली में प्रदूषण को काबू करने में सफल रही है। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने सीएसई की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि इसके मुताबिक 2018-20 के बीच पीएम-2.5 का स्तर दिल्ली में 25 प्रतिशत कम हुआ है। स्वीडन की आईक्यू एयर डॉट कॉम की रिपोर्ट ने भी दिल्ली में 15 प्रतिशत प्रदूषण कम होने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि कभी दिल्ली दुनिया के प्रदूषित शहरों में पहले-दूसरे स्थान पर होती थी, जो आज 10वें स्थान पर है।
सीएसई की रिपोर्ट में दिल्ली में 24 घंटे विद्युत आपूर्ति, पॉवर प्लांट बंद करने, हॉट स्पॉट चिन्हित करने, उद्योगों को पीएनजी पर शिफ्ट करने, वायु गुणवत्ता की नियमित निगरानी और ईवी पॉलिसी जैसे केजरीवाल सरकार के उठाए गए कदमों का जिक्र है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार नींद से जागे और प्रदूषण से निपटने के लिए अभी से एक्शन प्लान बनाए, ताकि उत्तर भारत के साथ दिल्ली की वायु गुणवत्ता को बेहतर किया जा सके।
पर्यावरण मंत्री श्री गोपाल राय ने मंगलवार को दिल्ली सचिवालय में प्रेस वार्ता को संबोधित किया। गोपाल राय ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय संगठन आईक्यू एयर डॉट कॉम स्वीडन और सेंटर फॉर साइंस एनवायरमेंट (सीएसई) ने प्रदूषण को लेकर रिपोर्ट जारी की है। आईक्यू एयर डॉट कॉम की रिपोर्ट दुनिया और भारत के अलग-अलग शहरों में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर बताती है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के अंदर दिल्ली प्रदूषण के मामले में पहले नंबर एक या नंबर दो पर हुआ करता था। दिल्ली आज अपने प्रदूषण को कम करते हुए 10वें नंबर पर पहुंच चुका है। उसके ऊपर गाजियाबाद, बुलंदशहर, बिसरख, भिवानी, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, कानपुर, लखनऊ आदि शहर हैं। दिल्ली को खासतौर से पीएम-2.5 को कम करने में सफलता मिली है। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में लगभग 15 फीसदी प्रदूषण कम हुआ है।
सीएसई की रिपोर्ट में दिल्ली को लेकर दो बार आंकड़े लिए गए हैं। सीएसई ने 2015 से 17 के बीच और अभी 2018 से 20 के बीच में अध्ययन किया है। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में पीएम-2.5 का स्तर 25 फीसदी से ज्यादा कम हुआ है। यह रिपोर्ट मुख्यतौर पर 5 बिंदुओं को प्रमुखता से प्रदर्शित करती है। यह कार्य सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने किए हैं। रिपोर्ट में पहला बिंदु है कि दिल्ली पहला राज्य है, जिसने प्रदूषण पैदा करने वाले अपने पावर प्लांट बंद कर दिए हैं, जबकि दिल्ली के आसपास सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद 12 प्रदूषणकारी संयंत्र चल रहे हैं और वे आज तक बंद नहीं किए गए हैं। इसके अलावा, पिछले 6 महीने से मैं खुद भी केंद्र सरकार और राज्य सरकार को लगातार लिख रहा हूं, लेकिन उनके कान में जूं तक नहीं रेंग रही है। दिल्ली के बाहर स्थित संयंत्र लगातार प्रदूषण पैदा कर रहे हैं।
श्री गोपाल राय ने कहा कि दूसरा बिंदु यह कि दिल्ली पहला ऐसा राज्य है, जिसने दिल्ली के अंदर 13 हॉट स्पॉट चिन्हित किए हैं। जहां पर माइक्रो स्तर पर प्रदूषण को रोकने के लिए प्रबंधन होता है। उसकी नियमित निगरानी होती है। इसके जरिए प्रदूषण के कारणों को पता लगाया जाता है। जिसका असर यह है कि दिल्ली में 25 फीसदी प्रदूषण को कम करने में सफल हुए हैं। तीसरा बिंदु है कि दिल्ली पहला राज्य है जिसने अपने उद्योगों को पीएनजी गैस का सब्सिडी रेट पर कनेक्शन दिया है। दिल्ली आज पहला राज्य बन गया है, जहां 100 फीसदी उद्योग पीएनजी पर आधारित हैं।
पेटकोक, कोयला सहित प्रदूषणकारी ईंधन का उद्योगों में इस्तेमाल बंद कर दिया गया। इसका भी असर दिल्ली की वायु गुणवत्ता को बेहतर करने में पड़ा है। चौथा बिंदु है कि देश का दिल्ली पहला राज्य है, जहां 39 एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम लगे हैं। जहां पर हम नियमित रूप से वायु गुणवत्ता की निगरानी करते हैं। उसके आधार पर हम कार्य योजना बनाते हैं, लेकिन देश के अंदर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा जैसे कई राज्य हैं, जहां मॉनिटरिंग सिस्टम ठीक से स्थापित नहीं हुए हैं। जिससे समस्या का पता नहीं चल पाता है। सीएसई की रिपोर्ट में सरकार की दिल्ली ईवी नीति को लेकर तारीफ की गई है। दिल्ली पहला ऐसा राज्य है, जो ईवी पॉलिसी लेकर आया है। दिल्ली के अंदर धीरे-धीरे हम इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। जिससे वाहन प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।
श्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार पर्यावरण को लेकर एंटी-पॉल्यूशन अभियान के जरिए काफी सख्त तरीके से काम कर रही है। दिल्ली में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति का भी प्रदूषण पर असर पड़ा है। दिल्ली के अंदर पहले 6 से 8 घंटे तक बिजली की कटौती होती थी। पूरी दिल्ली के अंदर उद्योग-व्यापार के लिए डीजल जेनसेट चलते थे। दिल्ली में आज 24 घंटे बिजली आपूर्ति की वजह से डीजल जेनसेट पर लगाम लगी है। इमरेंजसी सेवाओं को छोड़कर डीजल जेनसेट पर प्रतिबंध है। जिससे दिल्ली के प्रदूषण में कमी आई है। इसके अलावा दिल्ली देश का पहला राज्य है, जहां पर प्रदूषण को कम करने के लिए वार रूम स्थापित किया गया है। देश के अंदर ऐसा कोई भी राज्य नहीं है, जहां पर प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए वार रूम स्थापित किया गया है।
उन्होंने कहा कि हमने ग्रीन दिल्ली एप लॉन्च किया है। इसके जरिए न सिर्फ अक्टूबर-नवंबर व दिसंबर के महीने में, बल्कि पूरे साल 24 घंटे प्रदूषण को नियंत्रित करने का काम हो रहा है। दिल्ली ग्रीन एप के माध्यम से वार रूम संचालित होता है। वर्तमान में 24 घंटे हमारा वार रूम काम कर रहा है। ग्रीन दिल्ली एप के माध्यम से प्रदूषण की निगरानी करते हैं। ग्रीन दिल्ली एप लॉन्च करने के बाद से अभी तक लगभग 20 हजार शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं और उनमें से 93 फीसदी शिकायतों को दूर किया जा चुका है। वार रूम की टीम एमसीडी, डीडीए, पीडब्ल्यूडी सहित तमाम एजेंसियों के साथ मिलकर काम करती हैं। वार रूम के पास शिकायतें आती हैं, उसके आधार पर हम एजेंसी से संवाद करते हैं। जमीनी स्तर पर निगरानी रखने के लिए ग्रीन मार्शल हैं। जब एजेंसी की तरफ से रिपोर्ट आती है कि समस्या दूर कर दी गई है, तो ग्रीन मार्शल मौके पर जाकर देखते हैं कि समस्या दूर हुई या नहीं हुई। इससे काफी फायदा हुआ है।
गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में ग्रीन क्षेत्र बढ़ाने के लिए पिछले एक साल में वृक्षारोपण पर तेजी से काम किया गया है। इसकी रिपोर्ट जल्द ही सार्वजनिक करेंगे। दिल्ली में कोविड के दौरान भी विभिन्न विभागों ने पौधारोपण के लक्ष्य को हासिल करने पर काम किया है, ताकि हम दिल्ली को हरा-भरा बना सकें। इसके अलावा, दिल्ली देश का पहला राज्य है, जो ट्री-ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी लेकर आया है। विकास कार्यों के लिए पेड़ों को काटना पड़ता था। ऐसे में पॉलिसी के आने के बाद अब एक पेड़ कटता है, तो उसकी जगह पर 10 पौधे लगाने होते हैं।
पेड़ की जगह पर 10 गुना पौधे लगाने का नियम तय किया गया है। इसके अलावा पाॅलिसी में प्रावधान है कि 80 फीसदी बड़े पेड़ों को काटने की बजाए ट्रांसप्लांट किया जाए। इसके लिए हम एजेंसी को पैनलाइज कर रहे हैं, ताकि सही तरीके से ट्रांसप्लांट कर पेड़ को को जिंदा रखा जा सके। हम जितने प्रयास कर रहे हैं, उससे दिल्ली का प्रदूषण स्तर सुधर रहा है। दिल्ली की बेहतर वायु गुणवत्ता के लिए और प्रयासों की जरूरत है। दिल्ली सरकार आगामी दिनों में तमाम विशेषज्ञों के साथ 2 दिन की राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस करने जा रही है। तमाम विशेषज्ञों से राय लेकर एक्शन प्लान बनाया जाएगा, ताकि दिल्ली की वायु गुणवत्ता को और बेहतर किया जा सके।
उन्होंने कहा कि दिल्ली का प्रदूषण केवल इसी राज्य का प्रदूषण नहीं है, यह पूरे एयर सेट का मसला है। अगर गाजियाबाद में प्रदूषण बढ़ता है, तो उसका असर दिल्ली पर पड़ता है। अगर नोएडा, ग्रेटर नोएडा, भिवानी, पलवल, गुरुग्राम में प्रदूषण बढ़ता है, तो इसका असर दिल्ली पर पड़ता है। इसलिए हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि जो रिपोर्ट आई है, उसके आधार पर केंद्र सरकार मूल्यांकन करे। उत्तर भारत के आसपास के राज्यों में पावर प्लांट बंद करने, जेनसेट पर लगाम लगाने, 24 घंटे बिजली आपूर्ति की गारंटी, पराली जलाने पर अंकुश लगाने आदि पर केंद्र सरकार काम करे। आसपास के राज्यों में प्रदूषण पर रोक लगाने की कार्य योजना बनाने सहित तमाम पहलुओं पर केंद्र सरकार सो रही है।
केंद्र सरकार को कार्य योजना बनाने को लेकर अब जाग जाना चाहिए। लेकिन केंद्र सरकार अंतिम समय में जागती है और फिर कहती है कि हरियाणा-पंजाब कुछ नहीं कर रहा है, तो हम क्या करें? इसके बाद 6 महीने से एक साल तक पावर प्लांट चलाने की डेट बढ़ाने की एप्लीकेशन आ जाती है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने से हमारा निवेदन है कि अब वह नींद से जागे और अभी से इन सभी राज्यों के अंदर कार्य योजना बनाने पर कार्य करे। कार्य योजना तैयार कर तुरंत कार्रवाई की जाए, जिससे उत्तर भारत के साथ-साथ दिल्ली की वायु गुणवत्ता को बेहतर किया जा सकें।
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