Monthly Poetry Seminar: सेंधवा पब्लिक स्कूल में मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन
Monthly Poetry Seminar: मगन हूं हाथ हाला है, नयन पीकर बहकते है, सलोना स्वप्न पाला है।

सेंधवा, 23 दिसंबर: Monthly Poetry Seminar: सेंधवा काव्य मंच के तत्वाधान में शहर के निजी स्कूल सेंधवा पब्लिक स्कूल में मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका आरंभ शिक्षक निर्मल चौहान एवं मंच के युवा साथी चेतन गोयल द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया साथ ही चेतन गोयल ने मां सरस्वती वंदना प्रस्तुत संस्कृत में की एवं मंच के वरिष्ठ सदस्य विशाल त्रिवेदी जी ने इसका हिंदी अनुवाद किया।
मंच के संस्थापक प्रोफेसर शर्मा सर ने जीवन में दान के महत्व एवं दान से जीवन के संबंध को विस्तृत रूप से वर्णित किया, मंच के एक और संस्थापक प्रोफेसर सीजी खले सर ने अपनी रचना से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया।
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शहर के वरिष्ठ साहित्यकार विशाल त्रिवेदी ने अपनी रचना “जगत का रस निराला है, मगन हूं हाथ हाला है, नयन पीकर बहकते है, सलोना स्वप्न पाला है। सुनाकर माहोल बना दिया।
शहर के सुप्रसिद्ध उर्दू शायर वाजिद हुसैन साहिल ने अपनी पंक्तियां “ज्ञान पर अभिमान का जो इक उदाहरण हो गया,और फिर अपने पतन का खुद ही कारण हो गया, क्या अजब इसमें की इक रावण था जो ज्ञानी हुआ, पर अजब तो ये है इक, ज्ञानी भी रावण हो गया” से काव्य गोष्ठी को एक अलग स्तर प्रदान किया, पवन शर्मा हमदर्द ने अपनी रचना”चैन,सुकून,सम्मान सब चला गया, बड़ी महंगी पड़ रही है ईमानदारी मुझे” सुनाई,।

शिक्षक निर्मल चौहान ने अपनी रचना से जिंदगी के एक अलग ही नजरिए को प्रस्तुत किया, मंच के नए सदस्य श्री राजेंद्र सोनौने ने अपनी हास्य रचना में” पति-पत्नी पर नोंक-झोंक”का बड़ी ही खूबसूरती से वर्णन किया, उर्दू के शायर “हाफ़िज़ अहमद हाफ़िज”ने अपनी रचना “क्यों अकड़ता है ऐसी दौलत पर, छोड़ इक रोज़ जिस को मरना है, सुनाकर दाद बटोरी।
मंच के युवा साथी चेतन गोयल ने अपनी रचना “हर बात के कुछ फायदे हैं हर बात के कुछ घाटे” से जीवन के गणित को प्रस्तुत किया, वही “शाकिर शेख शाकिर” ने ” तुम कह रहे हो गोली खिला दो बुखा़र की मैं कह रहा हूं उसकी ज़रूरत है प्यार की” सुनाकर माहौल बना दिया, मंच के बाकी सदस्य दीपक भार्गव एवं डॉ सनी सोनी ने भी काव्य पाठ किया, काव्य गोष्ठी का संचालन शिक्षक से मनोज मराठे द्वारा किया गया, एवं आभार प्रोफेसर शर्मा सर जी एवं प्रोफेसर खले सर जी द्वारा माना गया
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