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GST on paratha: आम जनता के लिए बुरी खबर! पराठे पर लगाया गया इतने प्रतिशत जीएसटी…

GST on paratha: अगर आप रेडी टू कुक पराठे खाने के शौकीन हैं तो आपको उसपर अच्छा खासा टैक्स चुकाना होगा

नई दिल्ली, 14 अक्टूबरः GST on paratha: भारत में पांच साल पहले वस्तु व सेवा शुल्क जीएसटी सिस्टम लागू हुआ था। तब से लेकर अब तक ये कई बार बहस का मुद्दा बन गया हैं। इस बीच अब रोटी-पराठे से जुड़ा एक नया मामला सामने आया हैं। ऐसे में अगर आप भी रेडी टू कुक पराठे खाने के शौकीन हैं तो यह खबर आपके लिए थोड़ी पीड़ादायक हो सकती हैं। दरअसल अब आपको इसपर टैक्स चुकाना होगा।

रेडी टू ईट रोटी पर 5 प्रतिशत तो पराठों पर 18 प्रतिशत GST

जानकारी के अनुसार गुजरात की अपीलेट अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग ने रेडी टू कुक यानी फ्रोजेन पराठों पर 18 प्रतिशत GST लगाने के फैसले को मंजूर किया है। जबकि रोटी पर 5 फीसदी ही टैक्स लगेगा। याचिकाकर्ता अहमदाबाद की कंपनी वाडीलाल इंडस्ट्रीज की अपील पर यह फैसला आया है। इधर पराठे के बिजनेस से जुड़ी कंपनियों का कहना है कि पराठे पर रोटी से अधिक जीएसटी नहीं लगाई जानी चाहिए क्योंकि दोनों ही गेहूं के आटे से बनते हैं। उनका कहना है कि दोनों पर एक समान टैक्स लगना चाहिए।

याचिकाकर्ता का कहना है कि उनकी कंपनी 8 तरह के फ्रोजन पराठे बनाती हैं। इनमें मलबार पराठा, मिक्स पराठा, वेज पराठा, ओनियन पराठा, प्लेन पराठा, आलू पराठा और लच्छा पराठा शामिल हैं। इसमें मुख्य रुप से आटे का ही उपयोग होता हैं। उसकी (याचिकाकर्ती की) दलील थी की ये रोटी की श्रेणी में आता है क्योंकि इसमें रॉ-मटेरियल के तौर पर आटा, तेल, सब्जी का ही उपयोग होता है और वो ऐसे पराठे बेचते हैं जिसे लोग अपने घर ले जाकर गरम कर खा सकते हैं।

इस पर गुजरात जीएसटी प्राधिकरण ने कहा कि रोटी रेडी टु ईट होती है, जबकि कंपनी का पराठा फ्रोजेन यानि रेडी टू कूक है. टैक्स प्राधिकारियों का साफ कहना है कि पराठा और रोटी बिल्कुल ही अलग हैं. रोटी को आप बिना मक्खन या घी के खा सकते हैं, लेकिन पराठा इनके बगैर नहीं बनता, चूंकि घी या बटर का पराठा एक तरह से लग्जरी की श्रेणी में आता है, इसलिए इन पर 18 फीसदी टैक्स वसूला जाना जायज है।

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