Dr Saman Habib Lucknow

लखनऊ की वैज्ञानिक डॉ. समन हबीब भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, नई दिल्ली की फ़ेलो चुनी गईं

image003SU7F

सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ की वैज्ञानिक डॉ. समन हबीब भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, नई दिल्ली की फ़ेलो चुनी गईं

डॉ.समन हबीब ने भारत की तीनों शीर्ष विज्ञान अकादमियों की फेलोशिप हासिल की

22 OCT 2020 by PIB Delhi

डॉ समन हबीब, मुख्य वैज्ञानिक एवं प्रोफेसर (AcSIR), मॉलिक्यूलर बायोलॉजी डिवीजन, सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ को मलेरिया परजीवी की कार्यप्रणाली को समझने के लिए किए उनके उत्कृष्ट अनुसंधान कार्य के फलस्वरूप उन्हें भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, नई दिल्ली के फ़ेलो के रूप में चयनित किया गया है। मलेरिया परजीवी (प्लाज्मोडियम) में उसके अनुसंधान समूह की रुचि मुख्यतः (ए) प्लाज्मोडियम के अवशेष प्लास्टिड (एपिकोप्लास्ट) के आणविक कामकाज को समझने की इच्छा से प्रेरित है, (बी) प्लाज्मोडियमऑर्गनेल्स द्वारा नियोजित प्रोटीन ट्रांसलेशन की क्रियाविधि का अध्ययन  और (सी) मानव आनुवंशिककारक तथा भारत के स्थानिक और गैर-स्थानिक क्षेत्रों में प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम मलेरिया केप्रति गंभीर संवेदनशीलताका अध्ययन शामिल है।

उनके क्रेडिट में अन्य महत्वपूर्ण सम्मान और पुरस्कार:

•भारतीय विज्ञान अकादमी, बैंगलोर (2016) की फेलो

•नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज इंडिया, इलाहाबाद (2015) की फेलो

•राष्ट्रीय महिला जैव-वैज्ञानिक पुरस्कार, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार (2012)

• प्रोफेसर बी.के. बछावत मेमोरियल लेक्चर अवार्ड, राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत (2008)

•सीएसआईआर यंग साइंटिस्ट अवार्ड, सीएसआईआर (2001)

भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी

भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की स्थापना जनवरी 1935 में भारत में विज्ञान को बढ़ावा देने और मानवता और राष्ट्रीय कल्याण के लिए वैज्ञानिक ज्ञान के दोहन के उद्देश्य से की गई थी। राष्ट्रीय कल्याण की समस्याओं के लिए व्यावहारिक अनुप्रयोग सहित भारत में वैज्ञानिक ज्ञान को बढ़ावा देने के साठा साथ भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के प्रमुख उद्देश्य हैं:

•वैज्ञानिक अकादमियों, समितियों, संस्थानों, सरकारी वैज्ञानिक विभागों और सेवाओं के बीच समन्वयस्थापित करना।

•भारत में वैज्ञानिकों के हितों के संवर्धन और सुरक्षा के लिए और देश में किएगए वैज्ञानिक कार्यों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने के लिए प्रख्यात वैज्ञानिकों की संस्था केरूप में कार्य करना।

•राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समितियों के वैज्ञानिक कार्यों के लिए राष्ट्रीय समितियों के माध्यम से कार्य करना, जिसमें अन्य प्रतिष्ठित अकादमियों और समितियों को संबद्ध किया जा सकता है, जिन्हें अकादमी द्वारा जनता और सरकार की मांग के अनुरूप निर्देशित किया जा सकता है।

*****