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Congress sankalp patra: कांग्रेस कार्यसमिति का संकल्प पत्र, मीटिंग के बाद क्या कहा आइए सुनें वीडियो

Congress sankalp patra: गंभीर कृषि संकट और भारत के किसानों पर बर्बर हमला

नई दिल्ली, 16 अक्टूूबरः Congress sankalp patra: पिछले 7 सालों में पूरा देश हमारे ‘अन्नदाता’ किसान और खेत मजदूर की रोजी-रोटी पर बर्बर हमले का साक्षी बना। इस सबकी शुरुआत सन 2015 में हुई जब केंद्र की भाजपा सरकार ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा किसानों की सुरक्षा के लिए बनाए गए भूमि अधिग्रहण मुआवजा कानून को संसद में एक अधिनियम बनाकर खारिज कर दिया। इसके बाद कृषि कर्ज से किसी भी तरह की राहत देने से इंकार करने, फसल का मुआवजा देने के लिए बनाए गए नियमों को कमजोर करने, और एक अत्यधिक जटिल फसल बीमा योजना बनाने का कुत्सित चक्र शुरू हुआ, जिससे पीड़ित किसानों की बजाय चुनिंदा बीमा कंपनियों ने भारी मुनाफा कमाया।

Congress sankalp patra: मोदी सरकार के घ्रणित मनसूबों का अंत यहां भी नहीं हुआ। इसके बाद केंद्र की भाजपा सरकार ने इतिहास में पहली बार खेती पर टैक्स लगाते हुए खाद (5 प्रतिशत), कीटनाशकों (18 प्रतिशत) और ट्रैक्टर एवं कृषि उपकरण (12 से 18 प्रतिशत) पर अप्रत्याशित जीएसटी लगा दिया। परिणाम यह हुआ कि खाद, बीज और कीटनाशकों के दाम आसमान छूने लगे। स्थिति और भी ज्यादा गंभीर तब हो गई, जब डीज़ल की कीमतें अनियंत्रित होकर 100 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गईं और देश के अनेक शहरों में तो डीज़ल 100 रु. प्रति लीटर के पार हो गया। इतना सब होने के बाद भी मुख्य फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी में हर साल केवल 2 से 4 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी ही की गई।

Congress sankalp patra: मोदी सरकार द्वारा अत्यधिक टैक्स लगाने व किसानों को पीछे धकेलने वाले इन किसान विरोधी उपायों से खेती पर 20,000 रु. से 25,000 रु. प्रति हेक्टेयर का अतिरिक्त भार पड़ा।भारत के किसानों की स्थिति का अनुमान एनएसएसओ की रिपोर्ट से लगाया जा सकता है, जिसमें साफ कहा गया है कि छोटे व सीमांत किसान की औसत दैनिक आय केवल 26.67 रु. प्रति दिन है और हर किसान पर औसत 72,000रु. का कर्ज है। यानि, किसान की प्रति दिन की औसत आय एक मजदूर के न्यूनतम दैनिक मुआवजे से भी कम है।

खेती के तीन ‘काले कानून’ मोदी सरकार द्वारा मुट्ठीभर पूंजीपति मित्रों को मुनाफा कमवाने के लिए भारत के अन्नदाता किसानों का दमन करने की एक कुत्सित साजिश की पराकाष्ठा है। साढ़े दस महीनों से, लाखों किसान दिल्ली की सीमाओं पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्हें राष्ट्रीय राजमार्ग पर कीलें और बोल्डर लगाकर आगे बढ़ने से रोक दिया गया है। अपने हक की इस लड़ाई में लगभग एक हजार किसान अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन मोदी सरकार उनकी बात तक सुनने को तैयार नहीं। मोदी सरकार ने तीन काले कानूनों को वापस लेकर इस गतिरोध को समाप्त करने से साफ इंकार कर दिया है।

लखीमपुर खेरी में किसानों को कुचलकर मारने की घटना सरकार की हठधर्मिता प्रदर्शित करती है। यह घटना गृह मामलों के लिए केंद्रीय मंत्री (राज्य), जो खुद एक हत्या के मामले के आरोपी हैं और उनके खिलाफ हाई कोर्ट ने तेंतालीस महीनों से अपना फैसला सुरक्षित रखा हुआ है, उनके द्वारा किसानों को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी सार्वजनिक रूप से दिए जाने के बाद घटित हुई। इस धमकी से उनका संदिग्ध अतीत स्पष्ट होता है।

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क्या इस तरह के गैरकानूनी और क्रूर कृत्यों को नजरंदाज किया जा सकता है, खासकर तब, जब 26 सितंबर, 2021 को मंत्री द्वारा चेतावनी दिए जाने के बाद 3 अक्टूबर, 2021 को मंत्री एवं उनके परिवार के सदस्यों की दो गाड़ियों से किसानों को सबके सामने खुलेआम कुचलकर मार दिया जाता है। अब, जब कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में जनता द्वारा दबाव डाले जाने पर गृह मामलों के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री के बेटे को आरोपी मानकर गिरफ्तार कर लिया गया है, तब भी प्रधानमंत्री जी ने बेशर्मी की हर सीमा को पार कर उन्हें अपने पद से बर्खास्त करने से इंकार कर दिया है।

कांग्रेस कार्यसमिति राहुल गांधी द्वारा साहस व निरंतरता से किसानों के मुद्दों के लिए लड़ने और प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा दृढ़ता से उत्तर प्रदेश में किसानों की हत्या के खिलाफ लड़ाई की सराहना करती है। उपरोक्त तथ्यों के मद्देनजर, एक सरल सा सवाल यह है कि क्या इस मामले में कभी न्याय हो पाएगा? भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ‘तीन काले कानूनों’ को खारिज करने और भारतीय किसानों के लिए उचित व निष्पक्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस देश के किसानों के साथ खड़ी रही है और भूमि के अधिग्रहण के लिए मुआवजा पाने का अधिकार खारिज करने की साजिश के खिलाफ आंदोलनों का नेतृत्व करती रही है। हम पहले भी सफल हुए हैं और तीन ‘काले कानूनों’ के खिलाफ भी सफल होंगे। हम भारत के किसानों और खेत मजदूरों पर मोदी सरकार द्वारा दुर्भावना से किए जा रहे हमलों के खिलाफ किसानों की लड़ाई में उनके साथ खड़े रहने का अपना संकल्प दोहराते हैं।

कांग्रेस कार्यसमिति का संकल्प पत्र

कांग्रेस कार्यसमिति ने देश के राजनैतिक हालात की समीक्षा की है। कांग्रेस कार्यसमिति देश के समक्ष विभिन्न समस्याओं और उनसे निपटने की चुनौतियों में मोदी सरकार की विफलता को देखकर चिंतित है। दरअसल, मोदी सरकार की विनाशकारी नीतियों ने स्थिति को और अधिक भयावह बना दिया है, जिसका प्रभाव नागरिकों पर भारी बोझ के रूप में पड़ा है। कांग्रेस कार्यसमिति देश की कमजोर होती बाहरी और आंतरिक सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित है। लद्दाख में हुई झड़प, जिसमें 20 सैनिकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, उसके लगभग 18 महीने बाद भी चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय जमीन पर कब्जा बरकरार है।

कई दौर की बातचीत हो जाने के बाद भी, चीन हमारी भारतीय जमीन से पीछे नहीं हटा है; और न ही हम उन इलाकों पर पुरानी यथास्थिति को बहाल कर पाए हैं। चीन के आक्रामक रुख और पाकिस्तान द्वारा लगातार घुसपैठ ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा को बहुत कमजोर कर दिया है। अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन और तालिबान के कब्जे के बाद, स्थिति और भी गंभीर हो गई है, लेकिन मोदी सरकार या तो बेखबर है, या गहरी नींद में सोई हुई है। आतंकवादी हमले बढ़े हैं, जिनमें सुरक्षा बलों व भोले-भाले नागरिकों ने अपनी जान गंवाई है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन, या प्रशासन के नाम पर जो कुछ भी वहां चल रहा है, वह अक्षम, शक्तिहीन और पंगु है। भविष्य के लिए पूर्ण राज्य की बहाली और लोकतांत्रिक चुनावों का आयोजन जरूरी है।

देश के अन्य हिस्सों में, विशेष रूप से असम, नागालैंड और मिजोरम में, सुरक्षा संबंधी खतरे बढ़े हैं। राज्यों के बीच विवाद भड़क उठे हैं, जिससे सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों के मन में एकाएक भय उत्पन्न हो गया है। मोदी सरकार के अनाड़ी रवैये से नागा शांति वार्ता को गंभीर झटका लगा है। ड्रग्स की तस्करी में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। गुजरात के अडानी पोर्ट से 3,000 किलोग्राम हेरोइन के बरामद होने तथा एक और बड़ी खेप के भारत में सफलतापूर्वक आयात होने की खबर इस बात का अनुमान देती है कि देश में गैरकानूनी धंधा कितने विकराल रूप में मोदी सरकार की निगरानी में फल-फूल रहा है।

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अर्थव्यवस्था में लगातार हो रही गिरावट बड़ी चिंता का विषय है। 2020-21 में अर्थव्यवस्था औंधे मुंह गिरने के बाद, मोदी सरकार ने वी-शेप में सुधार का दावा किया था। लेकिन अर्थव्यवस्था के सभी संकेत विभिन्न क्षेत्रों में सुधार की असमान व रेंगती चाल की ओर इशारा करते हैं। मंदी व महामारी की मार से खोई हुई नौकरियां अभी तक वापस नहीं मिली हैं; बंद हो चुकी माईक्रो व लघु इकाइयां फिर से शुरू नहीं हो पाई हैं। लाखों परिवारों पर बेरोजगारी और ऊंची कीमतों की दोहरी मार पड़ रही है।

खेती के तीन काले कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 10 महीने बाद भी जारी है। अहंकार में डूबी मोदी सरकार ने किसानों से बात करने से भी इंकार कर दिया है और जब पुलिस एवं कुछ कुत्सित भाजपाई कार्यकर्ता उनके साथ हिंसा करते हैं, तो वह केवल एक मूक दर्शक बनकर देखती रहती है। लखीमपुर खेरी की दुखद घटना किसानों की आवाज को दबाने के प्रयास को केंद्र सरकार द्वारा दिए जा रहे आधिकारिक समर्थन का एक स्पष्ट उदाहरण है। किसानों की नृशंस हत्या की निंदा करने और गृह मामलों के लिए राज्य मंत्री को बर्खास्त करने से प्रधानमंत्री मोदी के इंकार ने देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है।

कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशंस पर गहरी चिंता व्यक्त करती है, जिनके तहत केंद्रीय सुरक्षा बलों के अधिकारी किसी भी स्थान की तलाशी ले सकते हैं और किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं तथा किसी भी केंद्रीय अधिनियम के तहत किसी भी संज्ञेय अपराध को रोकने के लिए अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर किसी भी व्यक्ति की तलाशी ले सकते हैं। यह राज्यों के अधीन विशिष्ट शक्तियों और राज्य पुलिस की शक्तियों पर खतरनाक रूप से अतिक्रमण है। इन अधिसूचनाओं को निरस्त करने के लिए मोदी सरकार को मजबूर करने के लिए कांग्रेस पार्टी सभी हितधारकों और अन्य राजनैतिक दलों के साथ-साथ राज्य सरकारों से परामर्श करेगी और इस मामले में एक कार्ययोजना तैयार करेगी।

कांग्रेस कार्यसमिति दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं पर होने वाले बेलगाम और अनियंत्रित राज्य प्रायोजित हमलों पर भी चिंता व्यक्त करती है। कांग्रेस पार्टी इन सभी विघटनकारी तत्वों का साहसपूर्ण व निर्णायक रूप से मुकाबला करेगी और देश के सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगी। देश की आर्थिक स्थिति भयावह है।

Congress sankalp patra: पेट्रोल और डीजल पर भारी टैक्स लगाकर उगाहे गए पैसे के बूते अपनी सरकार चलाने में भी मोदी सरकार को कोई शर्म नहीं। अपनी कमजोर वित्तीय स्थिति को छिपाने के लिए, मोदी सरकार ने पिछले 70 सालों में बनाई गई इस देश की बहुमूल्य संपत्ति को आनन-फानन में बेचना शुरू कर दिया है। यह सार्वजनिक रूप से माना जा रहा है कि पोटर्स, एयरपोटर्स, पॉवर एवं टेलीकम्युनिकेशंस में सबसे बहुमूल्य संपत्तियां उन चुनिंदा व्यवसायिक घरानों को बेच दी जाएंगी, जो मोदी सरकार के मित्र हैं।

लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमला मोदी सरकार के कारनामों का एक और दुखद व लज्जाविहीन पहलू है। भारत ने लोकतंत्र के रूप अपनी मान्यता खो दी है, इसे अब निर्वाचित एकतंत्र (इलेक्टोरल ऑटोक्रेसी) के रूप में देखा जाने लगा है। संसद की तिरस्कारपूर्ण अवमानना की गई। कोर्ट व ट्राईब्यूनल्स में रिक्त पड़े पदों को न भरकर न्यायपालिका को कमजोर किया गया। सूचना आयोग, चुनाव आयोग और मानवाधिकार आयोग जैसे स्वतंत्र प्रहरी निकायों को कमजोर कर उन्हें शक्तिहीन कर दिया गया। मीडिया को झूठे मामलों में फंसाकर और छापे मारकर अपने वश में करने के लिए धमकाया गया।

गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को धमकाया गया और उनकी कल्याणकारी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई। लोगों की आवाज दबाने के लिए सरकारी एजेंसियों का व्यापक रूप से दुरुपयोग किया गया। सरकार ने दुर्भावनापूर्ण स्पाइवेयर द्वारा गुप्त रूप से लोगों के व्यक्तिगत जीवन में घुसपैठ की। लोकतंत्र के हर पहलू को कमजोर किया गया। कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार द्वारा भारत देश को ‘नागरिकों के ऊपर जासूसी और पुलिस द्वारा निगरानी तंत्र’ में बदलने के हर षडयंत्रकारी प्रयास का विरोध करेगी। मोदी सरकार के अंतर्गत सभी नागरिकों के लिए स्वतंत्रता व न्याय का संवैधानिक संरक्षण एक झूठी दिलासा बन गया है।

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Congress sankalp patra: कांग्रेस कार्यसमिति का विश्वास है कि हमारी जिम्मेदारी है, लोगों को आने वाले खतरों के प्रति आगाह करना। हम ऐसा करते हुए सभी लोकतांत्रिक दलों और शक्तियों से आह्वान करते हैं कि सभी मिलकर मोदी सरकार से उत्पन्न इन चुनौतियों का दृढ़ता से मुकाबला करें, ताकि देश के नागरिकों की बेहतरी हो सके और उन मूल्यों का संरक्षण हो, जिन पर इस देश का निर्माण हुआ था।

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