Main Tadap Rahi: मैं तड़प रही अपनी काया से, मेरी कराहना क्यों नहीं सुन रहें
Main Tadap Rahi: !!मैं तड़प रही!!
Main Tadap Rahi: मैं तड़प रही अपनी काया से,
मेरी कराहना क्यों नहीं सुन रहें?
मैं अधोगति केे कगारे हो रही,
मैं और कोई नहीं, पर्यावरण हूँ।
मत काटो मेरे तरुवर छाया को,
क्या बिगाड़ा है तेरा मनुज?
जीने क्यों नहीं देते मुझे?
मेरी अपरिहार्ता तू क्या जानों?
जीवों का आस है जहाँ।
हयात इन्तकाल क्यों कर रहें?
समभार का आत्मविस्मृत द्रुम,
जियो और जीने दो सदा जहाँ।
मत करो पर्यावरण का उपहास
क्यों कर रहें हो खिलावड़?
रक्तस्त्राव का गात प्रपात
अब न करो मेरी दाह संस्कार
हरीतिमा ध्वस्त, हो रहा विकराल
पानी की है अकुलाहट अब जहाँ
किल्लत होगी ऑक्सीजन की तब
दुनिया का होगा इयात इन्तकाल।
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