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Aankhon ki kashish: दिलों को जीत लेती वो आंखों की कशिश

Aankhon ki kashish: !!आंखों की कशिश!!

Rajesh rajawat
राजेश राजावत ”ओजस”
इंदरगढ़, दतिया, मध्यप्रदेश

बला सर चढ़ जाती है दुप्पटा लहरा जाता है
मन महकने लगता है नाम जुवां पर आता है

दिलों को जीत लेती वो (Aankhon ki kashish) आंखों की कशिश
मोहब्बत के अफसाने एक फकीर बताता है

शर्म को ओढ़ बैठे महज जुल्फों का पर्दा है
दो दिलों की बातों को गा-गाकर सुनाता है

शाम रंग जाती मोहब्बत में रंग-ओ-आव से
क्या खुमारी छा जाती है क्या रंग जमाता है

उनके गुलाबी लबों से शबनम बिखरती है
इश्क जुनून जब चढ़ता है दीवाना बनाता है

ओजस अपनी धुन में बस यूं खोया रहता है
खुद नाचता है और महफिल को नचाता है

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