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Isabgol demand increased in America: अमेरिका में इसबगोल के विभिन्न उत्पादों की भारी मांग, पिछले कुछ वर्षों में बिक्री दो अंकों की दर से बढ़ी

Isabgol demand increased in America: गुजरात में पैदा होने वाली औषधीय फसल इसबगोल को नियमित रूप से खाते हैं अमेरिकी

  • Isabgol demand increased in America: इसबगोल के प्रसंस्करण में गुजरात देश में अव्वल, देश के कुल इसबगोल उत्पादन का 90 फीसदी प्रसंस्करण गुजरात में
  • भारत पूरी दुनिया में इसबगोल का सबसे बड़ा उत्पादक देश, गुजरात में भी इसबगोल का उत्पादन पिछले पांच वर्षों में हुआ दुगुना
  • भारत में इसबगोल के कुल उत्पादन का 93 फीसदी हिस्सा पूरी दुनिया में निर्यात किया जाता है, अमेरिका है सबसे बड़ा खरीदार देश

गांधीनगर, 22 अगस्तः Isabgol demand increased in America: स्थानीय भाषा में ‘घोड़ा जीरा’ के रूप में जाना जाने वाला इसबगोल भारत में खेती के अंतर्गत सभी औषधीय फसलों में सर्वाधिक क्षेत्रफल में उगाई जाने वाली अति महत्वपूर्ण फसल है। पूरी दुनिया में भारत इसबगोल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इसबगोल फसल के प्रसंस्करण में गुजरात देश भर में अव्वल स्थान पर है। भारत के कुल इसबगोल उत्पादन का 90 फीसदी प्रसंस्करण गुजरात में किया जाता है। राज्य के सिद्धपुर और ऊंझा में इसकी प्रसंस्करण इकाइयां कार्यरत हैं। ऊंझा और उसके आसपास के क्षेत्रों में इसबगोल प्रसंस्करण की लगभग 25 इकाइयां विकसित की गई हैं।

इसबगोल सर्वाधिक विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाली औषधीय फसल है और भारत के कुल इसबगोल के उत्पादन का 93 फीसदी हिस्सा पूरी दुनिया में निर्यात किया जाता है। अमेरिका भारतीय इसबगोल का सबसे बड़ा आयातक देश है। उसके बाद, भारत से सबसे अधिक इसबगोल खरीदने वाले देशों में जर्मनी, इटली, यूके और कोरिया का समावेश होता है। हालांकि, भारत से दुनिया के अनेक देशों में इसबगोल का निर्यात किया जाता है।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात कृषि क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा है। मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में राज्य सरकार की बागवानी और औषधीय फसलों की प्रोत्साहक नीतियों के परिणामस्वरूप गुजरात में बागवानी और औषधीय फसलों की बुवाई और उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके अलावा, गुजरात सरकार की प्रोत्साहक उद्योग नीति तथा एग्रो इंडस्ट्रीज की नीतियों के कारण कृषि उत्पादनों के प्रसंस्करण और उनके निर्यात में भी वृद्धि हो रही है।

गुजरात में पिछले पांच वर्षों में दुगुना हुआ इसबगोल का उत्पादन

इसबगोल के उत्पादन में गुजरात देश के अग्रणी राज्यों में शुमार है। वर्ष 2018-19 में राज्य में इसबगोल का बुवाई का रकबा 6754 हेक्टेयर और कुल उत्पादन 6817 मीट्रिक टन था। इसकी तुलना में वर्ष 2022-23 में कुल बुवाई का रकबा 13,303 हेक्टेयर और कुल उत्पादन 12,952 मीट्रिक टन दर्ज किया गया है। इस तरह, पिछले पांच वर्षों में गुजरात में इसबगोल का बुवाई का रकबा और उसका उत्पादन लगभग दुगुना हो गया है।

बनासकांठा है गुजरात में इसबगोल का सबसे बड़ा उत्पादक जिला

गुजरात में बनासकांठा जिले में इसबगोल का सर्वाधिक अर्थात 47 फीसदी उत्पादन होता है। उसके बाद कच्छ में 34 फीसदी, मेहसाणा में 10 फीसदी और जूनागढ़ में 5 फीसदी इसबगोल का उत्पादन होता है। इस तरह, गुजरात में इसबगोल के कुल उत्पादन का 96 फीसदी हिस्सा इन चार जिलों में पैदा होता है।

एशिया के सबसे बड़े एपीएमसी में इसबगोल की आवक में वृद्धि

ऊंझा की कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) में पिछले पांच वर्षों में इसबगोल की आवक में भी वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2018-19 में ऊंझा के एपीएमसी में 65,413 मीट्रिक टन इसबगोल की आवक हुई थी, जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 87,050 मीट्रिक टन हो गई है। उल्लेखनीय है कि ऊंझा का गंज बाजार एशिया का सबसे बड़ा गंज बाजार है, जो इसबगोल, जीरा और सौंफ की फसल के लिए प्रसिद्ध है।

कृषि विश्वविद्यालयों ने जारी की इसबगोल की चार किस्में

गुजरात के कृषि विश्वविद्यालयों ने गुजरात इसबगोल-1, गुजरात इसबगोल-2, गुजरात इसबगोल-3 और गुजरात इसबगोल-4 सहित इसबगोल की कुल चार उन्नत किस्में जारी की हैं। इन किस्मों का प्रति हेक्टेयर क्रमशः 800 से 900 किग्रा. और 1000 किग्रा. उत्पादन लिया जा सकता है।

आयुर्वेदिक, यूनानी और एलोपैथी चिकित्सा में उपयोगी है इसबगोल

इसबगोल के बीज की तासीर शीतल होती है और उसका उपयोग आयुर्वेदिक, यूनानी और एलोपैथी चिकित्सा में किया जाता है। इसके बीज और भूसी का उपयोग पाचन तंत्र एवं मूत्र-जननांग तंत्र के श्लेष्म झिल्ली की सूजन को कम करने में तथा आंतों के अल्सर, मस्से और गोनोरिया (सूजाक) जैसे यौन संचारित रोगों का उपचार करने के अलावा कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए किया जा सकता है। गर्भपात के दौरान गर्भाशय तथा योनि मार्ग की चौड़ाई बढ़ाने के लिए भी इसके उपयोग को लेकर हाल ही में शोध हुआ है।

औषधीय उपयोगों के अतिरिक्त इसका उपयोग रंगाई, कपड़ा छपाई, आइसक्रीम उद्योग, मिठाई और सौंदर्य प्रसाधन उद्योग में भी किया जा सकता है। इतना ही नहीं, इसबगोल के भूसी मुक्त बीज में 17 से 19 फीसदी प्रोटीन होता है, इसलिए इसका उपयोग पशु आहार में किया जाता है।

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अमेरिका भारतीय इसबगोल का सबसे बड़ा खरीदार देश

अमेरिका भारत से इसबगोल का सबसे बड़ा खरीदार देश है, जो भारत से होने वाले कुल निर्यात में लगभग 75 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है। वर्ष 2022-23 में भारत ने अमेरिका को 19,666 मीट्रिक टन इसबगोल का निर्यात किया था, जिसका मूल्य 1023.29 करोड़ रुपए है। वर्ष 2023-24 के लिए भी अप्रैल से जून तक की पहली तिमाही के दौरान अमेरिका को 343.20 करोड़ रुपए मूल्य के 4931.70 मीट्रिक टन इसबगोल का निर्यात किया गया है। यह आंकडें दिखाते हैं कि वर्तमान में भारतीय औषधीय फसल इसबगोल की अमेरिका में जबरदस्त मांग है।

अमेरिका में बिकते हैं इसबगोल के विभिन्न उत्पाद

मार्केट रिसर्च कंपनी मिन्टेल के डेटा के अनुसार, इसबगोल के विभिन्न उत्पादों की अभी अमेरिका में जोरदार मांग है। वर्ष 2018 से वर्ष 2022 तक अमेरिका में इसबगोल के 249 नए उत्पाद बाजार में पेश किए गए थे। विभिन्न श्रेणियों में बिक्री के आंकड़े मिलना मुश्किल है, लेकिन मास-मार्केट प्रोडक्ट मेटामुसिल के प्रवक्ता ने कहा कि, पिछले कुछ वर्षों में इसबगोल के उत्पादों की बिक्री दो अंकों की दर से बढ़ी है।

इसबगोल के बहुत से नए उत्पादों का उपयोग अब अमेरिकी रसोई घरों में भी होने लगा है। कम कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन करने वाले लोग इसका बाइंडिंग के रूप में उपयोग करते हैं, रसोई के दौरान पतले सॉस को थोड़ा गाढ़ा बनाने के लिए इसबगोल का उपयोग होता है। वहीं, ग्लूटेन-फ्री बेकर्स ब्रेड और केक के बेकिंग में भी इसका उपयोग किया जाता है। अमेरिका में पाचन को आसान बनाने और भूख को नियंत्रित रखने के लिए भी इसबगोल का उपयोग किया जाता है।

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