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Visitors arrived at smriti van: भारत का सबसे बड़ा स्मारक और संग्रहालय ‘स्मृति वन’, 4 महीने में पहुंचे इतने लाख आगंतुक

Visitors arrived at smriti van: 2001 के भूकंप में जान गंवाने वालों की स्मृति में बना है विशेष वन

गांधीनगर, 24 जनवरीः Visitors arrived at smriti van: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त, 2022 को कच्छ के भुज शहर में स्मृति वन का लोकार्पण किया था। 26 जनवरी, 2001 को आए विनाशक भूकंप ने कच्छ को पूरी तरह से तबाह कर दिया था। उस भूकंप का शिकार बने लोगों नागरिकों की याद में इस स्मृति वन का निर्माण किया गया है।

20 जनवरी तक केवल चार महीनों की अवधि में ही 2 लाख 80 हजार लोग इस स्मारक को देख चुके हैं जबकि इसी दौरान संग्रहालय को देखने के लिए 1 लाख 10 हजार से अधिक लोग पहुंचे। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में राज्य में विकासोन्मुखी विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य जारी है। इससे समाज की पायदान पर खड़े अंतिम व्यक्ति तक खुशहाली पहुंची है।

फिटनेस, योग क्लास, ओपन माइक और संगीत के कार्यक्रम

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भुज और राज्य के नागरिकों को एक साथ लाने के उद्देश्य से यहां योग क्लास और वर्कशॉप, ओपन माइक, स्केटिंग के कार्यक्रम, जुम्बा गेट टुगेदर, मतदान जागरूकता कार्यक्रम, संगीत के कार्यक्रम और 21,000 से अधिक दीयों से भूकंप में दिवंगतों की शांति के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके चलते स्मृति वन एक सांस्कृतिक केंद्र भी बना है, जहां भुज सहित आसपास के क्षेत्रों से लोग आ रहे हैं।

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संग्रहालय देख अभिभूत हुईं जानी-मानी हस्तियां

अपने-अपने क्षेत्र के कई दिग्गजों ने भुजिया डूंगर (पहाड़ी) पर बने इस संग्रहालय की प्रशंसा की है। इसमें प्रसिद्ध राजनेता, सशस्त्र बलों के अधिकारी, सफल सीईओ, क्रिकेटर, अभिनेता, पूर्व मुख्यमंत्री, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर सहित अन्य महानुभाव शामिल हैं।

आगंतुकों की प्रतिक्रियाएं

“मैं अपने देशवासियों से विनम्रतापूर्वक कहना चाहता हूं कि हमारा स्मृति वन दुनिया के कुछ श्रेष्ठ स्मारकों और संग्रहालयों की तुलना में एक कदम भी पीछे नहीं है। मैं कच्छ के लोगों से निवेदन करना चाहता हूं कि जब कभी आपके घर में कोई मेहमान आए, तो कृपया उन्हें स्मृति वन दिखाए बिना वापस न जाने दें। मैं कच्छ के शिक्षा विभाग से भी निवेदन करना चाहूंगा कि जब भी शैक्षिक प्रवास का आयोजन किया जाए, तब स्कूल के बच्चों को यहां लाया जाए- नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री

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“2001 के भूकंप के सार को जितने अच्छे तरीके से यहां ग्रहण किया गया है, यह एक विनम्र अनुभव है। यह हमें प्रकृति का आदर करना सिखाता है और यह भी सिखाता है कि प्रकृति हमारे जीवन में कितनी अहम भूमिका निभाती है। हमने जो जीवन गंवाया, वह बहुत ही दुःख का क्षण था। मैं भूकंप से प्रभावित हुए लोगों के पुनर्वास के लिए अथक मेहनत करने वाली टीम को बधाई देता हूं।

मैं स्मृति वन के निर्माण से जुड़ी टीम की भी प्रशंसा करना चाहता हूं। प्रभावित लोगों की स्मृति को चिरंजीवी बनाए रखने और भावी पीढ़ी को आपदा की तैयारी के महत्व को लेकर शिक्षित करने के संग्रहालय के प्रयासों की सराहना करता हूं- शक्तिकांत दास, गवर्नर, भारतीय रिजर्व बैंक

“म्यूजियम के हरेक छोटे कोने में एक कहानी मौजूद है, जिसका प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम एक बार अनुभव करना चाहिए। अवश्य जाना चाहिए- शुभम, चेन्नई से आए आगंतुक

“यह एक सुंदर अनुभव था। इतनी खूबसूरत इमारत, और उसके भीतर जो है, वह उससे भी अधिक सुंदर है। कच्छ के लोगों के जज्बे को सुंदर तरीके से दर्शाया गया है और यह काफी सम्माननीय है। आपको अवश्य पसंद आएगा- रशेल, स्पेन से आए आगंतुक

470 एकड़ क्षेत्र में फैला है स्मृति वन प्रोजेक्ट

यह प्रोजेक्ट भुज के भुजिया डूंगर पर 470 एकड़ क्षेत्र में बना है। यहां दुनिया का सबसे विशाल मियावाकी जंगल है जिसमें 3 लाख पेड़ लगे हैं। इसके अलावा, यहां 50 चेकडैम हैं, जिसकी दीवारों पर श्रद्धांजलि के रूप में 12,932 पीड़ित नागरिकों के नाम उकेरे गए हैं।

अन्य आकर्षणों में सन पॉइंट (उगते सूर्य को देखने का स्थान), 8 किमी लंबा ओवरऑल पाथ-वे, 1.2 किमी आंतरिक सड़क, 1 मेगावाट क्षमता का सोलर पावर प्लांट, 3 हजार आगंतुकों के लिए पार्किंग सुविधा, 300 वर्ष से अधिक पुराने किले का नवीनीकरण, 3 लाख पौधारोपण, समूचे क्षेत्र में इलेक्ट्रिक लाइटिंग और 11,500 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले भूकंप को समर्पित संग्रहालय का समावेश होता है।

भूकंप का अनुभव करने के लिए विशेष थियेटर

2001 में आए भूकंप का अनुभव करने के लिए एक विशेष थियेटर का निर्माण किया गया है। यहां कंपन तथा ध्वनि एवं प्रकाश के संयोजन से एक विशेष परिस्थिति का अनुभव कराया जाता है। 360 डिग्री पर प्रोजेक्शन की मदद से 2001 में आए भूकंप की अनुभूति की जा सकती है। संग्रहालय में कुल 8 ब्लॉक हैं, जिन्हें पुनर्जन्म, पुनः खोज, पुनर्स्थापना, पुनर्निर्माण, पुनर्विचार, पुनर्जीवन और नवीनीकरण नाम दिया गया है।

यहां ऐतिहासिक हड़प्पा सभ्यता की बस्तियों, भूकंप से संबंधित वैज्ञानिक जानकारी, गुजरात की कला और संस्कृति, चक्रवात का विज्ञान, रियल टाइम आपातकालीन स्थिति के संबंध में कंट्रोल रूम द्वारा सलाह एवं सुझाव और भूकंप के बाद भुज की सफलता गाथाओं एवं राज्य की विकास यात्रा को वर्कशॉप एवं प्रेजेंटेशन के माध्यम से दर्शाया गया है।

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