संस्कृत है जीवन-संजीवनी !

यानी भाषा मूर्त और अमूर्त के भेद को पाटती है और हमारे अस्तित्व को विस्तृत करती है. आँख की तरह भाषा हमें एक नया जगत दृश्यमान उपलब्ध कराती है. इसके … Read More