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World suicide prevention day: वसंता कॉलेज फॉर वीमेन में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर परिचर्चा

  • मनोविज्ञान विभाग के तत्वावधान में मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने हेतु होंगे विविध कार्यक्रम

World suicide prevention day: प्राचार्या प्रोफेसर अलका सिंह ने किया मानसिक स्वास्थ्य पखवाड़े का शुभारंभ

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 10 सितंबरः World suicide prevention day: वसंता कॉलेज फॉर वीमेन राजघाट, वाराणसी के मनोविज्ञान विभाग द्वारा विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफ़ेसर अलका सिंह ने इस महत्वपूर्ण परिचर्चा का शुभारंभ करते हुए कहा कि आत्महत्या से अगर बचना है तो मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानना अति आवश्यक है। जब हम मानसिक रूप से अस्वस्थ होते हैं, तब हम इस तरह के कठोर कदम और दुख देने वाले निर्णय लेते हैं।

इस अवसर पर विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की इस बार की Theme/विषय को ध्यान में रखते हुए, मनोविज्ञान विभाग द्वारा 15 दिन का मानसिक स्वास्थ्य पखवाड़ा का उद्घाटन भी महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफ़ेसर अलका सिंह द्वारा किया गया। इस पखवाड़े में मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम किए जाएंगे।

महाविद्यालय की प्राचार्या ने इसके लिए मनोविज्ञान विभाग के सभी शिक्षकों और छात्राओं को ढेर सारी शुभकामनाएं दी। इसी कार्यक्रम के अंतर्गत मनोविज्ञान विभाग के गेट पर लगाए गये, एक मेंटल हेल्थ बॉक्स का उद्घाटन भी महाविद्यालय की प्राचार्या के कर कमलो द्वारा किया गया।

इस मेंटल हेल्थ बॉक्स को लगाने के उद्देश्य के बारे में मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सीमा श्रीवास्तव ने बताया कि, जब भी किसी को कोई मानसिक स्वास्थ्य संबंधित परेशानी हो और यदि वह अपनी परेशानी किसी से कहने में संकोच कर रहा है और डर के कारण नहीं कह पा रहा है तो वह अपनी समस्या को इस मेंटल हेल्थ बॉक्स में लिखकर डाल दें।

इस मेंटल हेल्थ बॉक्स को साप्ताहिक रूप से खोला जाएगा और जो-जो समस्याएं छात्राओं के द्वारा या लोगों के द्वारा लिखकर इस में डाली गई होंगी, उस पर मंथन करके उसके निवारण के लिए प्रयास किया जायेगा। ताकि सम्बंधित मानसिक समस्या से ग्रसित व्यक्ति लाभान्वित हो।

इस अवसर पर डॉ वेद प्रकाश रावत ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि, आत्महत्या की जगह आत्म सत्याग्रह की आवश्यकता है। अर्थात जो समस्या हमारे सामने आई है, उस समस्या की सच्चाई को हम समझे और उसका सामना करें, ना कि उससे पीठ पीछे करें। समस्या का सामना करने से समस्या का समाधान होता है और इसके लिए सबसे खुलकर बात करनी चाहिए और अपनी समस्या बताने का प्रयास करना चाहिए।

सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन मनोविज्ञान विभाग की शोध छात्राओं कुमारी निशिता तथा कुमारी रोजी शांडिल्य ने किया। कार्यक्रम का संयोजन डॉ रिचा सिंह, डॉ वेद प्रकाश रावत, डॉ सुभाष मीणा तथा ने किया। मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष तथा आइक्यूएसी कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर सीमा श्रीवास्तव के निर्देशन में हुए इस कार्यक्रम में मनोविज्ञान विभाग की परास्नातक तथा स्नातक की लगभग 50 छात्राओं ने अपनी प्रतिभागिता दर्ज कराई। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ आकांक्षी श्रीवास्तव ने दिया।

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