Shankaracharya Demand

Shankaracharya Demand: शंकराचार्य ने गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग की

Shankaracharya Demand: गौ रक्षा के लिए आगे नहीं आए तो आने वाला समय क्षमा नहीं करेगा: जगद्गुरुशंकराचार्य स्वामि श्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 05 फरवरी:
Shankaracharya Demand: ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरुशंकराचार्य स्वामि श्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती ‘1008’ महाराज रविवार को माघ मेला स्थित अपने शिविर से माघ मेले क्षेत्र के भ्रमण पर निकले। महाराज के साथ ही देश के कई राज्यों के विभिन्न जनपदों से आयी गौ सेवकों एवं गौ रक्षकों की टोलियां भी निकलीं। इन टोलियों के साथ जगद्गुरु शंकराचार्य के अनन्य भक्त, अनुयायी और संत-महात्मा भी गौ रक्षा के निमित्त आवाज बुलंद करते हुए निकले।

रामा गौ के रक्षणार्थ, उन्हें राष्ट्र माता के रूप में प्रतिष्ठित कराने को आंदोलित जगतगुरु शंकराचार्य का ये स्वरुप सनातन धर्मियों के लिए नया नहीं है। किंतु रविवार छुट्टी का दिन होने के नाते जिस तरह की भीड़ यत्र तत्र सर्वत्र दिख रही थी। हर वर्ग, हर धर्म, विभिन्न संप्रदाय के लोग जो सिर्फ मेला घूमने के उद्देश्य से आए थे उनकी प्रतिक्रिया देखने योग्य थी। जगह जगह लोग अपने जगतगुरु को देखने, उनका आशीर्वाद पाने को आतुर दिखे। कई स्थानों पर उन्हें सुनने को भीड़ लालायित नज़र आई।

कहीं पर श्रद्धालुओं द्वारा पुष्प बरसाए गए तो कहीं आरती उतार कर भगवान शंकर स्वरूप शंकराचार्य प्रभु की पूजा अर्चना की गयी। अनेक शिविरों में स्वामि का भव्य स्वागत सत्कार कर उन्हें पूर्ण समर्थन एवं सहयोग का विश्वास व्यक्त किया गया। ऐसी दृश्यावली कई शिविरों के समक्ष उपस्थित हुई जब शंकराचार्य महाराज ने उनके शिविर से आगे प्रस्थान किया तो कई संत-महंत उन्हें दूर तक छोड़ने भी आये।

इसी क्रम में उन्होंने सतुआ बाबा, जगद्गुरु रामानंदाचार्य रामनरेशाचार्य सहित कई बड़े संतों से मिलकर विचार विमर्श भी किया। मेला क्षेत्र में भ्रमण के दौरान अपने हृदयोद्गार व्यक्त करते हुए परामाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरुशंकराचार्य स्वामि श्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती ‘1008’ महाराज ने कहा कि भारतीय नस्ल की गाय को ही हमने ‘रामा गाय’ के नाम से संबोधित किया है। यहां ‘रा’ का अभिप्राय: राष्ट्र से और ‘मा’ का अभिप्राय माता से है।

जब तक धार्मिक हिन्दू जागृत नहीं होगा तब तक राजनीतिक हिन्दू अपनी ढफली-अपना राग अलापते रहेंगे और गाय को रामा गाय बनाने का लक्ष्य प्राप्त नहीं हो सकेगा। राजनीतिक हिन्दुओं के द्वारा मचाए जा रहे शोर में धार्मिक हिन्दू की आवाज दबकर न रह जाए इसलिए उन्हें जागृत करने का दायित्व, देशभर के संत-महात्मा निभाने के लिए तत्पर हैं।

गाय के भरोसे ही फलने-फूलने वाली संतति यदि गाय की रक्षा के लिए आगे नहीं आएगी, आने वाला समय उन्हें क्षमा नहीं करेगा। न सिर्फ मूल भारतीय गोवंश को दूषित कर दिया जाएगा बल्कि गो मांस का घृणित और पापयुक्त कारोबार करने वाले लोग निजी स्वार्थ के लिए भारतीय नस्ल की गायों का समूल संहार करके उनके स्थान पर संकरित नस्ल की गायों को ही भारतीय गाय के रूप में प्रस्तुत कर देंगे। यह भारत और भारतीयों दोनों के लिए सबसे दुर्भग्यपूर्ण होगा।

इससे पहले कि ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण दिन आए हम समस्त धार्मिक हिन्दुओं को सजग हो जाना होगा। पूरे भारत से एक स्वर में आवाज उठानी होगी कि गाय को राष्ट्र माता का आसन दिया जाये। हर धार्मिक हिन्दु भारतीय मूल के गोवंश से भली भांति परिचित हो इस बात को दृष्टिगत रखते हुए यह आंदोलन गतिशील किया गया है। इसका मूल उद्देश्य यह है कि धार्मिक हिन्दुओं को बच्चा-बच्चा अपनी गौ माता को पहचाने और कहीं भी उनपर अत्याचार होता देख कर उनके समर्थन में खड़ा हो जाए।

महाराज का भ्रमण दल पुल संख्या दो से होते हुए संगम तट पर शयन मुद्रा में विराजित हनुमान मंदिर तक हुआ। तत्पश्चात दशाश्वमेघ मंदिर मोरी गेट से होते हुए पुनः मेला क्षेत्र के सेक्टर पांच स्थित शिविरों में उपस्थित संतों कल्पवासियों को गौ संसद में प्रतिभाग के लिए आह्वाहन करते हुए संगम नोज़ तक गया और फिर शंकराचार्य शिविर पहुंचकर भ्रमण दल ने विश्राम लिया। पांच फरवरी को जगद्गुरु शंकराचार्य महाराज के मार्गदर्शन में रामा गौ विद्वत्सभा, रामा गौशाला सञ्चालक सम्मेलन, रामा गौ उत्पाद प्रदर्शनी, रामा गौव्रती सम्मेलन आदि आयोजन सम्पन्न होंगे।

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