Rajneesh Kumar Shukla

Rajneesh Kumar Shukla statement: दुनिया को अहिंसा की संस्कृति की है जरूरत: कुलपति प्रो. शुक्ल

Rajneesh Kumar Shukla statement: हिंदी ने 200 वर्षों से जो पहचान बनायी है वह अदम्य साहस और संकल्प का प्रतिफल है: रजनीश कुमार शुक्ल

वर्धा, 29 मई: Rajneesh Kumar Shukla statement: महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय में 13 देशों के 31 विद्यार्थियों के लिए आयोजित कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि धरती पर बढते संकट के बीच हमें महात्मा गांधी के वैकल्पिक सभ्यता के दर्शन को अपनाते हुए पूरी दुनिया को उनके द्वारा प्रतिपादित अहिंसा की संस्कृति पर चलने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि गांधी मनुष्य को मशीनों के बंधन से मुक्त कराने की बात करते थे। कथित आधुनिकता से बचाने के लिए उन्होंने जो मार्ग दिखाया है उसपर चलने की आवश्यकता है। धरती को संपोष्य बनाने के लिए जिम्मेदारी का भाव गांधी के जीवन दर्शन से पैदा होता है।

हिंदी की महत्ता को बताते हुए प्रो. शुक्ल ने कहा कि हिंदी ने 200 वर्षों से जो पहचान बनायी है वह अदम्य साहस और संकल्प का प्रतिफल है। उन्होंने विदेश से आए विद्यार्थियों से उच्च शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय में आने का आह्वान किया और कहा कि आपके आगमन से बना रिश्ता एक बड़ी छलांग साबित होगा। वर्धा आने से गांधी की धरती और हिंदी को एकसाथ देखने का सौभाग्य आपको प्राप्त हुआ है।

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रविवार, 28 मई को विश्वविद्यालय के महादेवी वर्मा सभागार में आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने अपना परिचय और हिंदी के प्रति लगाव का मंतव्य देते हुए हिंदी और मराठी में गीत सुनाए। ‘पल पल दिल के पास’, ‘रहे ना रहे हम महका करेंगे’, ‘मैं अगर सामने आ भी जाया करों’, ‘क्या हुआ तेरा वादा’ आदि हिंदी गीतों सहित महाराष्ट्र राज्य का गीत ‘गर्जा महाराष्ट्र माझा’ प्रस्तुत कर उपस्थितों का दिल जीत लिया और खूब तालियां बटोरी। इसके पहले उन्होंने गांधी हिल्स पर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अभिवादन किया।

भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, नई दिल्ली की ओर से हिंदी विश्व यात्रा के अंतर्गत ऑस्‍ट्रेलिया, डेनमार्क, दक्षिण अफ्रीका, इटली, जापान, पोलैंड, मॉरीशस, कजाकिस्‍तान, कोरिया, फिजी, श्रीलंका, रूस, तंजानिया और तजाकिस्‍तान आदि देशों से आए मेधावी हिंदी छात्रों का स्वागत कुलपति प्रो. शुक्ल ने सूतमाला, टोपी, विश्वविद्यालय का प्रतीक चिह्न एवं विवि की पुस्तकें भेंट कर किया। विश्‍व स्‍तर पर हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से भारतीय सांस्‍कृतिक संबंध परिषद, नई दिल्‍ली द्वारा 20 से 29 मई तक ‘हिंदी विश्व यात्रा कार्यक्रम’ आयोजित किया गया।

इसी कड़ी में 31 विद्यार्थी विश्वविद्यालय में पधारे थे। इस यात्रा में उनके साथ भारतीय सांस्‍कृतिक संबंध परिषद के वरिष्ठ कार्यक्रम निदेशक कमल जीत सिंह और संपर्क अधिकारी महेश भी थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राजीव रंजन राय ने किया तथा कुलसचिव क़ादर नवाज़ ख़ान ने आभार माना।

इस अवसर पर प्रति कुलपति द्वय प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल एवं प्रो. चंद्रकांत रागीट, प्रो. रामजी तिवारी, प्रो. नृपेंद्र प्रसाद मोदी, डॉ. प्रियंका मिश्रा, डॉ. अनिल कुमार दुबे, डॉ. सूर्य प्रकाश पाण्डेय, डॉ. राजेश्वर सिंह, परिमल प्रियदर्शी, डॉ. मीरा निचळे, डॉ. श्रीरमण मिश्र, डॉ. प्रकाश नारायण त्रिपाठी, डॉ. योगेन्द्र बाबू, डॉ. अमित विश्वास, अंजनी राय, विनोद वैद्य, राजेश यादव, बी. एस. मिरगे, डॉ. रणंजय सिंह, संध्या सिंह आदि प्रमुखता से उपस्थित रहे।

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