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Pitru Paksha 2022: श्राद्ध (लघुकथा)

Pitru Paksha 2022: सुमित और निशा बहुत ही सुंदर और संस्कारी पति पत्नी है। दोनों ही अपनी दुनिया विदेश में बसा चुके थे। फिर भी उन्हें अपने देश और उसके संस्कारों से बहुत प्यार था। हर त्यौहार पूरी रीति रिवाज से मनाते थे।

सुमित के मम्मी पापा जब वह 6 साल का था तभी चल बसे ताऊजी ताई जी ने हीं उसकी परवरिश की निशा एक मॉडर्न लड़की है पर उसके साथ ही संस्कारी भी कहां कैसे रहना है कैसा व्यवहार करना है भली-भांति जानती है। सुमित और निशा को हमेशा मम्मी पापा की कमी खलती थी।

तभी पितर पक्ष वाले श्राद्ध आए, तो दोनों ने सोचा क्यों ना अपने देश जाकर इस पूजा को पूरा किया जाए। इस पूजा के लिए भारत आए घर पर पूजा करने के बाद वृद्धाआश्रम गए, वहां जाकर जो देखा उसके बाद में दोनों दंग रह गए ताऊजी ताई जी वृद्ध आश्रम में थे उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि ताऊजी ताई जी इस हाल में मिलेंगे,फिर ताऊ जी ने बताया कि कैसे उनके बेटे ने उन्हें घर से निकाल दिया दरअसल ताऊ जी के बेटे की वजह से ही दोनों में दूरी आ गई थी ताऊ जी का बेटा सुमित को जरा भी पसंद नहीं करता था

Pitru Paksha 2022

सुमित चाहकर भी ताऊजी ताई जी से मैं कभी मिलने जा पाया और ना ही उनके हाल-चाल पूछ पाया आज उसे बहुत तकलीफ हो रही थी उसने तुरंत ही ताऊजी ताई जी को अपने साथ चलने के लिए कहा लेकिन वह विदेश जाना नहीं चाहते थे, तब दोनों ने मिलकर यह फैसला लिया कि वह यही अपने देश में रहेगे और उन्हें अपने साथ घर ले आया सुमित को अपना फर्ज निभाना है बचपन में जिस लाड प्यार से उसे पाला था आज उसका फर्ज है उनकी खूब सेवा की हर छोटी बड़ी बात का ध्यान रखता निशा ने भी मन लगाकर उनका ध्यान रखा उनकी पसंद नापसंद का पूरा ध्यान रखती समय ऐसे ही बितता गया, सुमित निशा ने अपनी तरफ से दोनों की सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ी, फिर एक दिन ताऊ जी ने इस संसार को अलविदा कह दिया और जाते-जाते सुमित निशा से बोले अब मेरा बेटा श्राद्ध भी करेगा तो मैं कौवा बन कर खाना खाने नहीं आऊंगा तुम दोनों ने जीते जी मेरी जो सेवा की है उससे मैं तृप्त हो गया हूं।

सुमित और निशा को लग रहा था आज सही मायने में उन्होंने अपने पितरों को तर्पण दिया है उन्हें तृप्त करके आज विदा किया है। और सुमित के मम्मी पापा आज जहां कहीं भी थे अपने बेटे के इस सेवा भाव को देखकर बहुत खुश हुए सच मायने में आज उसने अपने मम्मी पापा को सच्ची श्रद्धांजलि दी है।

श्राद्ध करना हमारी भारतीय संस्कृति है उसे निभाना हमारा कर्त्तव्य है।सही मायने में वह तभी सफल होगा जब हम अपने माता-पिता हो या सास-ससुर की उनके रहते में जो सेवा करेंगे उन्हें आदर सम्मान देंगें तभी तो वो हमारा तर्पण खुशी खुशी ग्रहण करेंगे।

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