क्या गुजरात (Gujarat) में शराब की छूट मिलेगी, मामला हाईकोर्ट पहुँचा, पढ़े पूरी खबर

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गुजरात (Gujarat) में शराबबंदी का मामला हाईकोर्ट पहुँच गया है

अहमदाबाद, 02 मार्चः गुजरात (Gujarat) में शराबबंदी का मामला हाईकोर्ट पहुँच गया है राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में प्रस्तुत याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि राज्य में संवैधानिक और कानूनी तौर पर सही माननेवाला फैसला सुप्रीम कोर्ट ने दिया है इसलिए आवेदक इसे हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दे सकते

आवेदकों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सामान्य व्यक्ति उसके घर में बैठकर शराब पी सकता है इसके लिए कई प्रावधानों के मद्देनजर यह याचिका दायर की गई है राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल कमल त्रिवेदी ने कहा कि जब गुजरात (Gujarat) बॉम्बे राज्य का एक हिस्सा था तब तत्कालीन बॉम्बे प्रोहिबिशन एक्ट को चुनौती दी गई थी

एफ.एन.बलसारा के खिलाफ बॉम्बे स्टेट के इस ऐतिहासिक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 1951 में गुजरात (Gujarat) में जारी शराबबंदी को संवैधानिक और उचित माना था इसलिए अब इस कानून को आवेदक हाईकोर्ट में चुनौती दे रहे हैं

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राइट टू प्राइवेसी का कारण देकर अब इस कानून को चुनौती नहीं दी जा सकती उस समय सुप्रीम कोर्ट ने कानून को उचित माना है तो उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में ही अर्जी करना चाहिए ना कि हाईकोर्ट में अभी सीनियर वकील इस बारे में दलील कर रहे हैं परंतु यह याचिका टिकने काबिल नहीं है इस पर आवेदकों की तरफ से कहा गया था कि वे पूरे कानून को चुनौती नहीं दे रहे हैं कानून के कुछ प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित करने की मांग कर रहे हैं

तत्कालीन बॉम्बे प्रोहिबिशन एक्ट और वर्तमान गुजरात (Gujarat) प्रोहिबिशन एक्ट के एक प्रावधान के अनुसार गुजरात (Gujarat) में शराब का यातायात, खरीद और बिक्री, उपयोग और कब्जा पर प्रतिबंध लगाया गया है कोई भी व्यक्ति उसके घर में शराब पीना चाहता है तो राइट टू प्राइवेसी के अंतर्गत उसे यह छूट मिलनी चाहिए आवेदकों की यह मांग है

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