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Corona awareness campaign: कोरोना जागरूकता अभियान के तहत काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन..

Corona awareness campaign: शायर वाजिद हुसैन “साहिल” ने अपनी तरही ग़ज़ल सुनाते हुए कहा की ” इश्क तूने अगर किया ही नहीं,दर्द का, फिर तुझे पता ही नहीं।

सेंधवा, 03 अप्रैल: Corona awareness campaign: सेंधवा नया बस स्टैंड के पास कोरोना जागरूकता अभियान के तहत नववर्ष और रमज़ान के आगमन पर ज़िला अदब गोशा बड़वानी इकाई की ओर से शानदार काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसमे बड़वानी ज़िले के शायरो और कवियों ने अपनी खूबसूरत रचनाएं प्रस्तुत की।
संचालन युवा शायर वाजिद हुसैन “साहिल” ने अपने बेहतरीन अंदाज़ में किया। सेंधवा काव्य के मंच के वरिष्ठ सदस्य और शिक्षक मनोज मराठे इस काव्य गोष्ठी के विशिष्ट अतिथि रहे।

गोष्टी का आरंभ राजपुर के शायर रिज़वान अली “रिज़वान” ने नाते पाक पढ़ कर किया। सेंधवा के युवा कवि पवन शर्मा “हमदर्द” ने अपनी रचना में गंगा जमुनी संस्कृति की मिसाल पेश करते हुए कहा “उसने शुभकामना दी गुड़ी पड़वा की, मैंने मुबारकबाद दी रमजान की, बन गई एक नई तस्वीर मेरे हिंदुस्तान की”। पर खूब तालियां बटोरी।

नौजवान शायर वाजिद हुसैन “साहिल” ने अपनी तरही ग़ज़ल सुनाते हुए कहा की ” इश्क तूने अगर किया ही नहीं,दर्द का, फिर तुझे पता ही नहीं। कोई फरहाद, कोई कैस हुआ,मुझसा पागल कोई हुआ ही नहीं।। गोष्टी के माहोल को रुमानी कर दिया।
सैय्यद रिज़वान अली रिज़वान ने ग़ज़ल पढ़ते हुए कहा ” सब यहां आईना दिखाते है, आईना कोई देखता ही नहीं। पढ़कर गोष्टी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

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राजपुर के ही मंचीय कवि डॉ अपूर्व शुक्ला ने अपनी रचना में कहा ” तपते सहरा ने जिसको पाला हो,धुप से वह कभी डरा ही नहीं। पढ़कर रंग जमाया। सेंधवा के वरिष्ठ शायर जुनैद अहमद “जुनैद” ने अपनी ग़ज़ल सुनाते हुए कहा ” दिल में नफरत का रास्ता ही नही, तू कभी प्यार से मिला ही नहीं,कितनी नाकाम है मेरी कोशिश, दर्द दिल से जुदा हुआ ही नहीं। सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

नए रचनाकार शाकिर शेख “शाकिर” ने अपनी रचना सुनाते हुए कहा “नब्ज़ देखो ना अब तबिब मेरी, इश्क के रोग की दवा ही नहीं।
हाफिज अहमद “हाफिज” ने कहा ” मेरे चेहरे पे जो हंसी लाए, ऐसा लम्हा मुझे मिला ही नहीं। नए रचनाकारो ने भी दाद बटोरी। अन्त में सिंगर अफ़ज़ल शेख ने भी तरन्नुम में ग़ज़ल सुनाई । काव्य गोष्टी की अध्यक्षता जुनेद अहमद “जुनैद” ने की। नए रचनाकारों को किस तरह गाइड किया जाए एवं उनका हौसला बढ़ाया जाए, जिससे अन्य लोगो की साहित्य के प्रति रुचि बढ़े इस पर भी चर्चा हुई।

वाजिद हुसैन “साहिल” ने काव्य गोष्ठी में शामिल सभी कवियों, शायरों और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया, और समापन किया।

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