CM arogya health fair: सीएम आरोग्य स्वास्थ्य मेला में मुफ्त मिलीं स्वास्थ्य सेवाएं

CM arogya health fair: राज्यमंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी ने राजघाट पीएचसी पर लगे स्वास्थ्य मेले का किया उद्घाटन

रिपोर्टः डॉ राम शंकर सिंह

वाराणसी, 20 सितंबरः CM arogya health fair: कोविड-19 पर काफी हद तक नियंत्रण पाने के बाद मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेलों का आयोजन दोबारा शुरू हुआ। जिले के सभी ग्रामीण व शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आयोजित इस मेले में मरीजों की निशुल्क जांच और दवाइयां दी गईं। राजघाट शहरी पीएचसी पर आयोजित हुए मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेले का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति, धर्मार्थ कार्य एवं प्रोटोकॉल राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ नीलकंठ तिवारी ने किया।

CM arogya health fair: उन्होंने कहा कि बीते कई महीनों कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण से मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेला आयोजित नहीं हो पा रहा था। फिलहाल खुशी की बात है कोविड प्रोटोकाल के साथ यह आयोजन हम दोबारा करने का प्रयास कर रहे हैं। कोरोना काल ने हमें यही सिखा दिया है कि स्वास्थ्य अब हमारी प्राथमिकता है। इसमें लापरवाही हम सभी के लिए घातक होगी। इसलिए मेरी अपील है कि कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए लोग मेले में आएं और स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लें।

इसके साथ ही शहरी पीएचसी मँड़ुआडीहा पर लगे आरोग्य स्वास्थ्य मेले का शुभारंभ कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने किया। इस दौरान उन्होने स्वास्थ्य केंद्र पर दी जा रही सेवाओं का निरीक्षण किया। इस क्रम में काशी विद्यापीठ पीएचसी पर मुख्यमंत्री आरोग्य मेले का शुभारंभ पूर्व प्रमुख प्रवेश पटेल ने किया। इस दौरान उन्होने प्रधानमंत्री जन आरोग्य पटल का निरीक्षण किया जहां लाभार्थियों के आरोग्य कार्ड बनाए जा रहे थे। इसके अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर जन प्रतिनिधियों द्वारा सीएम आरोग्य मेले का शुभारंभ किया गया।

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वीबी सिंह ने बताया कि शासन के निर्देश पर जिले की 52 पीएचसी में मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेलों का आयोजन किया जा रहा है। मेला कराने का उद्देश्य स्पष्ट है कि एक ही छत के नीचे लोगों को अधिकाधिक स्वास्थ्य सुविधाएं, जांच, उपचार और दवाएं आदि उपलब्ध हो। हमारा प्रयास है कि इस मेले से अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हों। उन्होंने बताया कि मेला परिसर में प्रवेश करने से पूर्व प्रत्येक व्यक्ति की स्क्रीनिंग की जा रही है। मेले में मास्क और सेनिटाइजर की भी व्यवस्था है। सभी लोग सहयोगात्मक व्यवहार करें। इससे जांच, उपचार और दवाओं आदि की सुविधा आसानी से मिल सकेगी।

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मेले में कुल 2601 लोगों की स्वास्थ्य जांच की गई जिसमें 1084 पुरुषों, 1167 महिलाओं और 350 बच्चों को देखा गया । इन स्वास्थ्य मेलों में आयुष्मान भारत योजना के स्टॉल लगाकर 321 लाभार्थियों के गोल्डेन कार्ड भी बनाए गए। इस दौरान कोविड हेल्प डेस्क पर 1423 व्यक्तियों की स्क्रीनिंग की गईं, जिसमें 812 व्यक्तियों का एंटीजन किट से कोरोना टेस्ट किया गया जिसमें सभी व्यक्ति निगेटिव पाये गए।

इसके अलावा 39 लोगों की हेपेटाइटिस-बी की जांच हुई, बुखार के 181, 111 लोगों की मलेरिया जांच में सभी निगेटिव, लिवर के 23, 114 मरीज श्वसन, 180 उदर, 126 मधुमेह, 441 त्वचा संबन्धित मरीज, 18 टीबी संभावित मरीज, 50 एनीमिक (खून की कमी), 76 हाईपेर्टेंशन, 3 कैंसर, 199 महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच (एएनसी), 893 अन्य रोगों के मरीज देखे गए। वहीं 29 मरीजों को संदर्भित किया गया।

मेले में 52 कुपोषित बच्चों को चिन्हित किया गया। 9 मरीजों को चिकित्सीय उपचार के लिए भेजा गया। इसके अलावा 4 मरीजों को जनरल सर्जरी एवं 46 मरीजों को आँख की स्क्रीनिंग की गयी जिसमें 7 मरीजों को सर्जरी, 2 मरीजों को ईएनटी सर्जरी, 1 मरीज को ओब्स एवं गायनी सर्जरी एवं 6 मरीजों को अन्य सर्जरी के लिए चिन्हित किया गया। मेले में 111 मेडिकल ऑफिसर एवं 564 पैरामेडिकल स्टाफ ने कार्य किया।

लाभार्थियों ने सराहा

सेवापुरी के सूईलरा निवासी उर्मिला देवी (62) ने बताया कि मैं मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेला के आयोजन से बहुत संतुष्ट हूं। यहां तो घर के सभी लोग एक साथ आकर अपना-अपना इलाज करवा सकते हैं। मैंने भी अपनी समस्या पर डॉक्टर से परामर्श ले लिया।

मेला में मिलीं सुविधाएं

मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेलों में गोल्डन कार्ड बनवाने, गर्भावस्था एवं प्रसवकालीन परामर्श, पूर्ण टीकाकरण एवं परिवार नियोजन संबंधी साधनों एवं परामर्श की व्यवस्था रही। इसके साथ ही संस्थागत प्रसव संबंधी जागरूकता, जन्म पंजीकरण परामर्श, नवजात शिशु स्वास्थ्य सुरक्षा परामर्श एवं सेवाएं, बच्चों में डायरिया एवं निमोनिया की रोकथाम के साथ ही टीबी, मलेरिया, डेंगू, फाइलेरिया, कुष्ठ आदि बीमारियों की जानकारी, जांच एवं उपचार की नि:शुल्क सेवाएं दी गई। पीएचसी पर जो जांचें नहीं हो पाईं उन मरीजों को जांच के लिए सीएचसी अथवा जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया गया।

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