BHU IIT Convocation Ceremony: आई आई टी बी एच यू का 13 वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न
BHU IIT Convocation Ceremony: कुल 1959 मेघावी विद्यार्थियों को दी गई उपाधि, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मेघावियों को प्रदान किया स्वर्ण पदक
- भारतीय नौजवानों को जॉब सीकर नहीं जॉब क्रिएटर होगा बनना : धर्मेंद्र प्रधान
- देश को आठ ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने में तकनीकी और प्रौद्योगिकी शिक्षा है महत्वपूर्ण : श्री प्रधान

रिपोर्ट: डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 28 अक्टूबर: BHU IIT Convocation Ceremony: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बी एच यू का 13 वां दीक्षांत समारोह धूम धाम से सम्पन्न हो गया. समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान मौजूद रहे। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने दीप प्रज्वलित कर तथा महामना की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दीक्षांत समारोह की विधिवत शुरुआत की।
इस समारोह में संस्थान के विभिन्न पाठ्यक्रमों के 1959 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की गई। इसमें 1060 बीटेक, 319 आईडीडी, 263 एमटेक/एमफार्मा और 49 एमएससी और 253 शोधार्थियों को डॉक्टरेट की डिग्री दी गई। संस्थान के बेहतरीन विधार्थी का गौरव हासिल करने हेतु भाव्या मल्होत्रा को 12 स्वर्ण पदक तथा आदित्य कुमार नायक को 7 स्वर्ण पदक प्रदान किया गया. अवसर पर 8 पूर्व छात्रों को विशिष्ट एलुमिना पुरुष्कार से सम्मानित किया गया. मंच पर पद्मश्री डॉ कोटा हरि नारायण, निदेशक प्रो अमित पात्रा, कुलसचिव राजन श्रीवास्तव उपस्थित थे. संचालन प्रो श्याम बिहारी द्विवेदी ने किया.
दीक्षांत समारोह में बोलते हुए शिक्षा मंत्री ने विज्ञान और तकनीक में उभरते हुए भारत की तस्वीर पेश की। उन्होंने कहा कि आज हिंदुस्तान तेजी से विकास कर रहा है। भारत विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है।उन्होंने देश की भावी अर्थव्यवस्था को गति और मजबूती देने की राहों में आने वाली चुनौतियों को रेखांकित किया। शिक्षा मंत्री ने कहा कि जिस प्रकार की मेधा यहां उपस्थित है वह देश की मजबूती के आधार स्तम्भ हैं। उन्होंने यहां उपस्थित छात्रों से अपील करते हुए कहा कि हमें जॉब क्रियेटर बनना है, आज चुनौती इसी की है। आने वाले 25 साल में भारत अमृत काल में रहेगा। आजादी के एक सौ साल पूरा करेंगे। इस दौरान भारत दुनिया का सबसे युवा देश भी रहेगा।

आपने कहा कि आज हम दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था हैं। आने वाले 25 साल में हम दुनिया की एक नंबर की इकोनॉमी होंगे। आज हमारी इकोनॉमी का आकार तीन ट्रिलियन डॉलर है, आने वाले दिनों में पांच से आठ ट्रिलियन तक पहुंचना है। तब अगर हम जॉब सीकर बनेंगे तो जॉब क्रियेट कौन करेगा।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि आज से पचास साल पहले भारत में खाद्य का अभाव था। हम लोग अमेरिका से गेहूं लाते थे। आज भारत के साठ प्रतिशत लोगों को कृषकों द्वारा उत्पादित वस्तुओं को मुफ्त दिया जाता है और हम अन्य देशों में अन्न सप्लाई भी करते हैं। ये पचास साल के अंदर हुआ है। उन्होंने काशी के साथ साथ देश में डिजिटल विकास की महत्ता को दर्शाते हुए एक दृष्टांत साझा किया। उन्होंने कहा कि एक साल पहले काशी में उन्होंने कई वस्तुओं की खरीददारी की और डिजिटल पेमेंट किया।
उन्होंने कहा कि अत्यंत गौरव का भान हो रहा है कि आज अमेरिका, चीन और यूरोप – इन तीनों देशों में जितना डिजिटल भुगतान होता है, भारत में उससे ज्यादा होता है।
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उन्होंने कहा टीबी, मलेरिया, पोलियो को कंट्रोल करने में हमें दशकों इंतजार करना पड़ा। हमने कोविड महामारी में भी न सिर्फ 225 करोड़ डोज वैक्सिन लगाया, बल्कि एक सौ से ज्यादा देशों में वैक्सिन पहुंचाई भी। ये आज के नए भारत के विकास की इबारत को रेखांकित करता है। उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा कि रिन्युएबल एनर्जी, सस्टनेबल एनर्जी, न्यू एनर्जी – पूरी दुनिया को इसकी अपेक्षा भारत से ही है। ये सारे काम साधारणतया एक तकनीकी यूनिवर्सटी ही कर सकता है। देश की आईआईटी दुनिया की ग्लोबल ब्रांड बन चुकी हैं। उन्होंने कहा कि वे उस ब्रांड के स्टेक होल्डर भी हो चुके हैं। देश में पचास रिसर्च पार्क बनाना है। इसमें से एक आईआईटी बीएचयू में सेंटनरी रिसर्च पार्क का शिलान्यास हुआ है।
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