Adhar devi temple

Adhar devi temple: इस मंदिर में होती है माँ के होठों की पूजा, पढ़ें पूरी खबर

Adhar devi temple: शिव ताण्डव के दौरान शति के 52 टुकड़ों में माउंट आबू में इस स्थान पर गिरे थे अधर यानी “होठ”

रिपोर्टः किशन वासवानी

माउंट आबू, 07 अक्टूबरः Adhar devi temple: देशभर में व पड़ोसी देशों में मां के दर्शन के लिए 52 शक्ति पीठ स्थापित है और वर्ष भर में दो बार नवरात्र के रूप में चैत्र व शारदीय नवरात्र को देशभर में माँ के भक्त माँ की आराधना के रूप में मनाते है। अपने मन की कामनाएं मनवाने एवम पूर्ण होने पर श्रद्धालुओं का आगमन शारदीय नवरात्र के दौरान माँ के मंदिर में दर्शनार्थ आते है। माउण्ट आबू में अधर देवी के नाम से जो शक्ति पीठ स्थापित है। यहां पर माना जाता है। जब शती के 52 टुकड़ें तांड़व नृत्य करते हुए थे। उसमें मां के होठ यहां पर ठीक इसी स्थान पर गिरे थे।

Adhar devi temple: विशाल गुफा में प्राकृतिक रूप में यहां पर मां की प्राकृतिक मूर्ति स्थापित है। जिसकी तस्वीर लेने के लिए आज तक किसी को अनुमति नहीं मिली है और दर्शनार्थी व श्रद्धालु भक्त जन जब इस मंदिर में सैकड़ों मीटर की यात्रा के पश्चात् 350 सीढ़ियों को चढ़कर के मां के दर्शन के लिए आते है, तो उन्हें अपने मोबाइल, कैमरा व अन्य सभी सामान पर्स, चश्मा आदि मंदिर के बाहर ही जमा कराना पड़ता है और बाद में टोकन लेकर उन्हें मंदिर में दर्शन के लिए प्रवेश मिलता है।

माउण्ट आबू में यो तो अनैक ऋषि मुनियों ने सदियों से माँ की शक्ति साधना की हैं। लेकिन यहां पर प्रसिद्ध ऋषि वेद व्यास भी आए थे और उन्होंने यहां पर कई ग्रंथों को बैठकर लिखा है। जो सर्वदा उपलब्ध ग्रंथ है और प्रामाणिक भी। उसमें से एक है स्कन्द महापुराण। इसी स्कन्द महापुराण के अर्बुद खंड़ और इसी अर्बुद खंड़ के सोलहवें अध्याय में इस प्राचीनतम मंदिर को 5500 वर्ष से भी अधिक पुराना बताया गया है। साथ ही यहां पर मां के होठ गिरने का वर्णन है। इसलिए मां कात्यायनी के स्वरूप में नवरात्र की चतुर्दशी व छठ को यहां पर मां का विशेष श्रृंगार व दर्शन व पूजन होता है।

Adhar devi temple: सिद्ध साधक पूरे नवरात्र में यहां पर आकर अपनी वाचा जिव्हा की सिद्धि के पूजन व तपस्या भी करते है अष्टमी की रात्रि में महायज्ञ होता है, जो नवमी के सुबह तक पूर्ण होता है। वर्ष पर्यन्त यहाँ पर मां दुर्गा सप्तशती का पाठ आचार्य व ब्राह्मणों के द्बारा सुबह व शाम को किया जाता है तो नवरात्रों में तो पूरें दिन व रात्रि में अखंड़ पाठ निरन्तर होता है।

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माउण्ट आबू की शक्ति पीठ में विराजित मां अधर देवी जहां पर मां के होठ गिरे थे। उसे प्रदेश के राजपूत, परमार, आजंणा, जैन समाज के कुछ गौत्रों समेत गुजरात के चौधरी समाज के लोगों ने अपनी कुल देवी माना और आज इन्हीं समाजों से सैकड़ों लोग यात्रा संघ के रूप में माउण्ट आबू में मां के दर्शन के लिए आते है। नवरात्र के दौरान तो इस स्थान पर यात्रा संघों का निरन्तर आवागमन बना सा रहता है और माना जाता है कि यहां पर आने से दुखी लोगों की मां अंतकरण से पुकार सुनकर जल्द ही उनकी मनोकामना पूर्ण कर देती है।

इसलिए मुख्यतया यह भी देखा जाता रहा है। जल्द ही मनोकामना पूर्ण होने पर सैकड़ों श्रद्धालु एक दो माह के अंतराल में ही दुबारा पुन: मनोकामना पूर्ण होने पर मां के दरबार में उसका आभार व्यक्त करने के लिए आते है। राजस्थान व गुजरात के अलावा भी अन्य दूरस्थ स्थानों के लोग नवरात्र में तो अवश्य ही आते है। माउण्ट आब में नवरात्र की समयावधि में माँ के दर्शन के लिए दर्शनाथियो का आवागमन संघ के रूप में देखने को मिलता है ।

संघ आने व जाने वाले मार्ग का दृश्य ढ़ोल थाली के साथ में दर्शन के लिए ध्वजा लेकर आते हुए श्रद्धालुओं का समूह माउण्ट आबू के अर्बुदा देवी मंदिर में दर्शन के लिए जाते हुए सैलानियों व श्रद्धालुओं का समूह, यहाँ मंदिर 350 सीढ़ियों को चढ़ने के बाद में एक विशाल गुफा के मध्य में आता है। नवरात्र में तो यहां पर आस पास के गांवों व राजस्थान व गुजरात के ‌‌‌श्रद्धालुओं का संध मां के दर्शनार्थियों का आगमन निरन्तर बना रहता हैं। दूरस्थ स्थानों से श्रद्धालु अपनी सुविधा के अनुरूप पैदल यात्रा संध के रूप में भी पहुंचते है।

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