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Republic Day Special News: देश का एक ऐसा गांव; जहां नहीं चलता कोई भी भारतीय कानून…

Republic Day Special News: मलाणा गांव में कोई भी भारतीय कानून नहीं चलता, यहां खुद की संसद है जहां सारे फैसले लिए जाते हैं

अहमदाबाद, 26 जनवरीः Republic Day Special News: भारतवासी आज 75वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। आज ही के दिन संविधान लागू हुआ था। इस संविधान के आधार पर ही पूरे देश की कानून व्यवस्था चलती है। भारत के प्रत्येक नागरिक को भारतीय संविधान का अनुसरण करना होता है। भारत विविधताओं का देश है, जहां कई राज्य, अलग भाषा, धर्म और जातियों के लोग रहते हैं। सभी के लिए समान कानून लागू है।

किंतु क्या आपको पता है कि भारत का एक ऐसा गांव भी है, जहां देश का कोई कानून नहीं चलता। इस गांव का अपना संविधान है। यहां के लोग खुद ही न्यायपालिका होते हैं, खुद ही व्यस्थापिका और कार्यपालिका होते हैं।

खुद का चुनाव कर सदन के सदस्यों को चयन करते हैं। यहां के लोग खुद के संविधान और कानून के दायरे में आते हैं। इस गांव का इतिहास और रहन सहन काफी रोचक हैं। आइए जानते हैं कहां स्थित है यह गांव, जहां नहीं चलता भारत का संविधान। क्या है इस गांव का रहस्य?

देश का अजब-गजब गांव

भारत में कई अजब गजब जगहें हैं, इन्हीं जगहों में हिमाचल प्रदेश का एक गांव भी है। हिमाचल प्रदेश के इस गांव का नाम मलाणा है। कुल्लू जिले के दुर्गम इलाके में स्थित मलाणा गांव अपनी कई गतिविधियों के कारण चर्चा में रहता है। इस गांव में कोई भी भारतीय कानून नहीं चलता, गांव के अपने नियम हैं। इस गांव की खुद की संसद है, जहां सारे फैसले लिए जाते हैं।

मलाणा गांव का अपना कानून

भले ही हिमाचल प्रदेश भारत का अंग है लेकिन मलाणा गांव की न्यायपालिका अपनी है। गांव की अपनी संसद है, जिसमें दो सदन है- पहली ज्योष्ठांग (ऊपरी सदन) और दूसरी कनिष्ठांग (निचला सदन)। ज्येष्ठांग में कुल 11 सदस्य हैं, इनमें से तीन कारदार, गुरू व पुजारी होते हैं, जो कि स्थाई सदस्य हैं।

बाकी के आठ सदस्यों को ग्रामीण मतदान करके चयनित करते हैं। कनिष्ठांग सदन में गांव के हर घर से एक सदस्य प्रतिनिधि होता है। संसद भवन के तौर पर यहां एक ऐतिहासिक चौपाल है, जहां सारे विवादों के फैसले होते हैं।

गांव की दीवार छूने की मनाही

इस गांव से जुड़े कई अजीब नियम हैं, जिसमें से एक गांव में दीवार न छूने का नियम है। कोई भी बाहरी व्यक्ति गांव की दीवार को नहीं छू सकता है। अगर कोई नियम तोड़ता है तो जुर्माना देना पड़ सकता है। यहां आने वाले पर्यटक गांव के बाहर ही रहते हैं, ताकि वह गांव की दीवार तक न छू पाएं।

चरस की खेती के लिए मशहूर

मलाणा गांव दुनिया में सबसे अधिक चरस की खेती के लिए मशहूर है। इस गांव के आसपास मारिजुआना यानी गांजा उगाया जाता है, जिसे मलाणा क्रीम कहते हैं। यहां के लोग चरस के अलावा कोई और फसल नहीं उगाते और इसे काला सोना मानते हैं। यह उनकी रोजीरोटी का मुख्य जरीया है।

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