Yahi vatan mile: मांग लूँ ये मन्नत की फिर यही जहाँ मिले: प्रिया सिंह
!! तमन्ना बस यही वतन मिले !!
मांग लूँ ये मन्नत की फिर यही जहाँ मिले
न चाह न कोई तमन्ना बस फिर यही वतन मिले
धरा है यह अवतारों का
यहाँ आने को देवों ने भी तन धरा
कान्हा का गोकुल यहाँ
श्री राम का अवध यहाँ
गौतम बुद्ध का लुम्बनी यहाँ
यहीं की हवाओं में घुली चारों वेदों की गाथा
हमको सुनायी गयी कृष्ण की गीता यहाँ
कर्म से लेकर धर्म तक सिखाया गया हमें यहाँ
मांग लूँ ये मन्नत की फिर यही जहाँ मिले।
न चाह न कोई तमन्ना बस फिर यही वतन मिले।।
मंदिर का भगवा रंग
गुरुद्वारा का सफ़ेद रंग
मस्जिद का हरा रंग
बौद्ध का नीला रंग
इस वतन ने सबको एक संग जोड़ रखा
एक सुर, एक गान यहाँ
विभिन्न भाषा, विभिन्न ज्ञान यहाँ
देशों में देश का नाम है इसका
संस्कृति का पहचान यहाँ
धर्मिकता का भाव यहाँ
अतिथि का सम्मान यहाँ
फिर क्यूं न मांगूं ये मन्नत की फिर यही जहाँ मिले।
न चाह न कोई तमन्ना बस फिर यही वतन मिले।।
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