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Holi aai re: होली आई होली आई……

!! होली आई !! (Holi aai re)

Varun singh

Holi aai re: होली आई होली आई
ढ़ेर सारी खुशियाँ लायी
रंगो का त्योहार है
बच्चों का भी हुड़दंग
कहीं पिचकारी की रंग तो
कहीं कीचड़ों की दंग
जहाँ भी अबीर – गुलाल के संग
कहीं ढोल बाजा तो
कहीं अंगना की गीत – गाना
फाल्गुन की होली
वसन्त की होली
जहाँ खेतों में सरसों
इठलाती हुई गेहूँ की बालियाँ
आम्र मंजरियों के सुगन्ध
ढोलक – झांझ – मंजीरों के संग
कभी राधाकृष्णन के संग
कभी ज़हांगीर नूरजहां के रंग
फाग और धमार का गाना
कहीं वसन्तोत्सव
कहीं होलिकोत्सव
कहीं नृत्यांगना की नृत्य
तो कहीं कलाकृतियों में
भाईचारा व मित्रता का भाव ही
होली का यहीं अहसास कराता।

*हमें पूर्ण विश्वास है कि हमारे पाठक अपनी स्वरचित रचनाएँ ही इस काव्य कॉलम में प्रकाशित करने के लिए भेजते है।
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