करो कर्म “धर्म और आस्था” साथ – साथ रखो, आत्मविश्वास अनंत अपार खुद पर: ममता कुशवाहा

धर्म और आस्था

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धर्म और आस्था को कहते ईश्वर का प्रतीक
मानतेे है लोग ध्यान करो ईश्वर का अनंत
तो होता है मनवांछित इच्छा पूरा उनका
कुछ इस तरह से हो जाते है लीन ,

ईश्वर की आराधना में और भूल जाते है
करना कर्म अपना परिश्रम का
भूल जाते लोग बिना कर्म के फल नहीं मिलता
और हो जाते है लोग जहां के कामचोर ,भ्रष्ट

कहते है हम करो तुम कर्म, धर्म और आस्था
और साथ -साथ रखो अटूट हौसला खुद पर
कि मिलेगा वो जो चाहते तुम अपने लिए
क्योंकि जहां चाह वहा रहा है मिलता ,

करो तुम परिश्रम जोरदार खुद से
तो होगा पूर्ण इच्छाएं अनेक तुम्हारा
करो कर्म ,धर्म और आस्था साथ – साथ
रखो आत्मविश्वास अनंत अपार खुद पर |

~~ममता कुशवाहा~~~~

  • हमें पूर्ण विश्वास है कि हमारे पाठक अपनी स्वरचित रचनाएँ ही इस काव्य कॉलम में प्रकाशित करने के लिए भेजते है। अपनी रचना हमें ई-मेल करें writeus@deshkiaawaz.in
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