crow cuckoo: जब कौआ कोयल उड़े गगन में साथ…
!!कोयल कौआ सम्वाद!! (crow cuckoo)
crow cuckoo: जब कौआ कोयल उड़े गगन में साथ
एक – दूसरे को देख आश्चर्य में भरी
शान से कौआ बोला कोयली से
तू क्यों आएं इधर मेरे साथ ?
कोयली मुँह दूष के आगे बढ़ चली
फिर पीछे मुड़ कोयली बोली कौआ से
कई ऐहसान किए है तेरे पै
तेरे चूज़ा को मैं ही पालती
फिर उसे सारी गुर भी सिखाती
तेरे जैसा चतुरपन देखा न कभी
फिर भी बोलते हो क्यों मेरे साथ ?
कौआ भी चुप रह नहीं सका
वो बोल ही उठा…
तू भी काली मैं भी काला
इसलिए मैं अपना चूज़ा गिरा देता
तेरे चूज़े के घोंसले में बारम्बार।
कौआ का शर्मिन्दा से सिर झुक गया
फिर वह आखिर पूछ ही बैठा
एक बात बताओ मेरी कोयली
तुम्हारी इतनी सुमधुर आवाज़
मेरी इतनी क्यों बेसुरा राग !
फिर भी तू घमण्ड नहीं करती
मैं सदा घमण्ड में भरा चूर
अब मुझे माफ करो कोयल रानी
चलो आओ हम दोनो मित्रता करें।
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