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राष्ट्रीय शिक्षा (education) नीति में शिक्षकों की भूमिका विषयक वेबिनार में विद्वानों का मंथन

Education
पद्मविभूषण प्रोफेसर के कस्तूरी रंगन
21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने में प्रभावी है नई शिक्षा (education) नीति: पद्मविभूषण प्रो. के कस्तूरीरंगन

रिपोर्ट : डॉ राम शंकर सिंह
वाराणसी, 16 मार्च:
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय), नीति आयोग और भारतीय शिक्षण मंडल (काशी प्रांत) के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को ’’राष्ट्रीय शिक्षा (education) नीति – 2020 में शिक्षकों की भूमिका’’ विषय पर एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में देश भर से 80 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों के संकाय सदस्यों ने भाग लिया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक, शिक्षाविद और नई राष्ट्रीय शैक्षिक नीति के अध्यक्ष पद्मविभूषण प्रो. के. कस्तूरीरंगन ने बहु-विषयक शिक्षा (education)की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने विश्वविद्यालयों को अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए एक बहु-विषयक उत्कृष्टता केंद्र के पुनर्गठन की आवश्यकता पर भी विस्तार से बताया, जहां साधन, अनुसंधान सामग्री और मानव संसाधन का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 से वैश्विक स्तर पर उपजी समस्याओं की पृष्ठभूमि पर संपूर्ण मानव सभ्यता ने नई शिक्षा नीति के दृष्टिकोण को महसूस किया।

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पहली बार, एक वैक्सीन विकसित की गई है जहाँ जैव-विज्ञान, आनुवंशिकी इंजीनियरिंग, रसायन इंजीनियरिंग, चिकित्सा विज्ञान और कई अन्य धाराओं जैसे विविध समूहों के शोधकर्ताओं ने एक साथ काम किया और रिकॉर्ड समय में वैक्सीन को संभव बनाया। एनईपी- 2020 में इस तरह के दृष्टिकोण को अपनाने की बात कही गई हैं जिससे21 वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। उन्होंने एनईपी – 2020 के समग्र और कौशल-उन्मुख सुविधाओं के प्रावधानों पर प्रकाश डाला। प्रोफेसर कस्तूरी रंगन ने भारतीय शिक्षाओं में प्रचलित ’64 कलावो’ के विवरण के साथ अपना व्याख्यान समाप्त की।

उद्घाटन सत्र भारतीय शिक्षा (education) मंडल के सचिव श्री मुकुल कानिटकर के व्याख्यान से आरंभ हुआ। उन्होंने एनईपी – 2020 की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ब्रिटिश शासन के आने से पहले हमारी साक्षरता 90 प्रतिशत से अधिक थी, लेकिन गलत शिक्षा नीति को अपनाने के कारण धीरे-धीरे घटकर 20 प्रतिशत से भी कम हो गई। उन्होंने जोर देकर कहा कि मातृभाषा में शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने अतीत में भारत के गौरव को भी याद दिलाते हुए कहा कि भारत को विश्व की ज्ञान राजधानी ’जगत गुरु’ के रूप में फिर से स्थापित होना हैं और यह कार्य सिर्फ शिक्षक ही कर सकते हैं।

डाॅ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या के पूर्व कुलपति और भारतीय शिक्षा मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने बतौर मुख्य वक्ता समाज की जड़ों से जुड़ी शिक्षा (education)की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षकों के बीच एनईपी-2020 के प्रमुख बिंदुओं को प्रचारित करने और इसे प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए भारतीय शिक्षा मंडल के योगदान पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने जोर देकर कहा कि एनईपी-2020 के प्रभावी क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

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समारोह की अध्यक्षता आईआईटी (बीएचयू) के निदेशक प्रो प्रमोद कुमार जैन ने की। अपनी अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर जैन ने आश्वस्त किया कि आईआईटी (बीएचयू) एनईपी-2020 के प्रावधानों को लागू करने के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि आईआईटी (बीएचयू) को मातृभाषा में शिक्षा शुरू करने के लिए तकनीकी शिक्षा (education) में उत्कृष्टता के संस्थानों में से एक के रूप में पहचाना गया है। उन्होंने कहा कि एनईपी-2020 के अनुरूप पाठ्यक्रम संशोधन पहले से ही चल रहा है और आने वाले शैक्षणिक सत्रों से इसे लागू किए जाने की संभावना है।

इस अवसर पर वेबिनार के संयोजक प्रो एस.के. शर्मा ने अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया और इस वेबिनार के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन डाॅ लावण्या, गणित विभाग ने किया। वेबिनार के दौरान कार्यक्रम के सह-संयोजक प्रोफेसर आरएस सिंह ने मुख्य अतिथि प्रोफेसर के. कस्तुरीरंगन का परिचय दिया। प्रोफेसर आर के सिंह ने संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन एवं डाॅ अनिल कुमार सिंह ने प्रोफेसर मनोज दीक्षित और डाॅ. चंदन उपाध्याय ने मुकुल कानितकर का परिचय कराया। उदघाटन समारोह में धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. अखिलेन्द्र प्रताप सिंह, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा किया गया।

समापन भाषण संस्थान के संसाधन और पूरा छात्र के पूर्व अधिष्ठाता प्रो ए.के. त्रिपाठी ने दिया। समापन समारोह में धन्यवाद ज्ञापन इस कार्यक्रम के आयोजन सचिव डाॅ अनिल कुमार सिंह ने दिया !

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