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सीएम अरविंद केजरीवाल (CM Arvind kejriwal) ने डीयू कालेजों के स्टाॅफ का वेतन देने के लिए दिए आदेश

CM Arvind kejriwal

डीयू के कॉलेज विभिन्न मदों में मौजूद फंड को तनख्वाह देने में इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं, इस पर कोर्ट के आदेशानुसार ही दिल्ली सरकार आगे करेगी फंडिंग – (CM Arvind kejriwal) अरविंद केजरीवाल

  • किसी भी स्थिति में कॉलेजों के शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टाॅफ की तनख्वाह नहीं रुकने देंगे, हर मुद्दे को कॉलेजों के साथ मिलकर सुलझाएंगे- अरविंद केजरीवाल
  • हम शिक्षा मंत्री कार्यालय की तरफ से डीयू के कुलपति को निमंत्रण भेजेंगे, ताकि लंबित मुद्दों पर उनसे बातचीत कर सुलझाया जा सके- अरविंद केजरीवाल
  • सौ फीसद दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित कालेज अपना कोई भी खर्च बढ़ाने संबंधी कोई भी निर्णय दिल्ली सरकार को विश्वास में लेकर करें – मनीष सिसोदिया
  • काॅलेजों के खातों और बजट में 100 प्रतिशत पारदर्शिता सुनिश्चित होनी चाहिए- मनीष सिसोदिया
  • सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के वित्त पोषित 12 कॉलेजों के साथ की बैठक, बैठक में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, कॉलेज प्रिंसिपल्स, चेयरमैन, गवर्निंग बॉडी के सदस्य एवं शिक्षा विभाग के अधिकारी रहे मौजूद  

रिपोर्ट: महेश मौर्य, दिल्ली
नई दिल्ली, 16 मार्च: सीएम अरविंद केजरीवाल (CM Arvind kejriwal) ने आज दिल्ली सरकार के वित्त पोषित 12 कॉलेजों के साथ की बैठक की। इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने डीयू के कालेजों के शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टाॅफ का वेतन देने के लिए 28.24 करोड़ रुपए जारी करने के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि डीयू के कॉलेज विभिन्न मदों में मौजूद फंड को तनख्वाह देने में इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं, इस पर कोर्ट के आदेशानुसार ही दिल्ली सरकार फंडिंग करेगी। किसी भी स्थिति में कॉलेजों के शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टाॅफ की तनख्वाह नहीं रुकने देंगे। हर मुद्दे को कॉलेजों के साथ मिलकर सुलझाएंगे। वहीं, शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार से सौ फीसद वित्तपोषित 12 कालेज खर्च बढ़ाने संबंधी कोई भी निर्णय दिल्ली सरकार को विश्वास में लेकर ही करें।  साथ ही, दिल्ली सरकार और डीयू के बीच की खाई को पाटने के लिए काॅलेजों के खातों और बजट में 100 प्रतिशत पारदर्शिता सुनिश्चित होनी चाहिए।  इस दौरान काॅलेजों की गवर्निंग बॉडी के सदस्य, शिक्षा विभाग के अधिकारी, कॉलेजों के प्रिंसिपल्स और चेयरमैन मौजूद रहे।

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बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind kejriwal) ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से मैं मीडिया में खबर पढ़ रहा हूं कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों के टीचिंग स्टाफ को वेतन नहीं मिल रहा है। हमारी सरकार दिल्ली में शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में सुधार करने के काम के लिए जानी और पहचानी जाती है, लेकिन, दिल्ली सरकार की नीयत की गलत व्याख्या की जा रही हैं और इसकी वजह से दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय के बीच गलतफहमी पैदा हो रही है। मैं इस बैठक में उपस्थित सभी सम्मानित सदस्यों से स्पष्ट करना चाहता हूं कि इस मुद्दे पर हम उनके साथ खड़े हैं। हम कर्मचारियों की दलीलों और चिंताओं का विरोध नहीं करते हैं। पिछले कुछ वर्षों से हमने डीयू के अधिकारियों और वीसी से बातचीत शुरू करने की कोशिश की है, लेकिन दोनों संस्थाओं के बीच राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं। हमारी तरफ से आज एक नई शुरुआत हुई है। दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकारियों और डीयू के कुलपति की ओर से भी बातचीत शुरू करने की जरूरत है, ताकि कई ऐसे लंबित मुद्दों को सुलझाया जा सके, जो विवाद का कारण बने हुए हैं। हम शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के कार्यालय की तरफ से दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर को निमंत्रित करेंगे, ताकि इन लंबित मुद्दों पर चर्चा कर उन्हें सुलझाया जा सके।

सीएम अरविंद केजरीवाल (CM Arvind kejriwal) ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पूरी तरह से वित्त पोषित दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों के लिए 28.24 करोड़ रुपए जारी करने का निर्णय लिया है, जो दिल्ली सरकार के पास लंबित है। हम कर्मचारियों और शिक्षकों की परेशानियों को जानते और समझते हैं। हम नहीं चाहते हैं कि जब तक यह मामला कोर्ट में विचाराधीन रहे, तब तक उनका वेतन रूका रहे। हम राशि जारी कर रहे हैं, ताकि कॉलेजों को कोई परेशानी का सामना न करना पड़े और हम कोर्ट से इस मुद्दे का समाधान करने की अपील करेंगे कि वो निर्णय लें कि इस फंड को किस मद के तहत खर्च किया जाना चाहिए। हम कोर्ट को यह निर्णय लेने देंगे कि इस फंड को राजस्व या किसी अन्य मद में शामिल किया जाए या नहीं।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली सरकार द्वारा धन जारी करने से प्रभावित हो रहे कुछ प्रशासनिक मुद्दों की तरफ इशारा किया। उन्होंने कहा कि मैंने पिछले पांच साल के दौरान विभिन्न परियोजनाओं के प्रस्तावों के लिए विभिन्न कॉलेजों को धनराशि स्वीकृत की है। हम अपने दायरे में आने वाले कॉलेजों को पूरा फंड देने के लिए तैयार हैं, चाहे वे फंड किसी भी मद के अंदर आते हों। हमारे संघटक कॉलेजों की तरफ से शत-प्रतिशत पारदर्शिता की बरतने आवश्यकता है। वित्त पोषित कॉलेजों को दिल्ली सरकार पर पूरा भरोसा होना चाहिए और उनके पत्रों और उनकी भावनाओं में भी 100 प्रतिशत यह पारदर्शिता झलकनी चाहिए। अगर आप अपनी तरफ से पारदर्शिता बरतते हैं, तो दिल्ली सरकार भी पारदर्शी तरीके से फंड देने के लिए तैयार है। डीयू के काॅलेजों के खातों और बजट में यह सारे खर्च स्पष्ट तौर पर दिखाई देने चाहिए।

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उन्होंने आगे कहा, दूसरी बात, चूंकि यह संस्थान दिल्ली सरकार द्वारा 100 प्रतिशत वित्त पोषित हैं, तो दिल्ली सरकार की सहायता के पैटर्न का पालन किया जाना चाहिए। कॉलेजों को दिल्ली सरकार पर अनावश्यक वित्तीय बोझ नहीं डालना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, हमसे उम्मीद की जाती है कि दिल्ली सरकार 2010 से पहले नियुक्त किए गए टीचिंग स्टाॅफ की तनख्वाह का भुगतान करें, जबकि दिल्ली सरकार के पास 2010 से पहले टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति का कोई रिकाॅर्ड नहीं है। कॉलेजों को स्टाफ की नियुक्ति से पहले दिल्ली सरकार से पूर्व अनुमति लेनी चाहिए, क्योंकि दिल्ली सरकार उनके वेतन और अन्य खर्चों की फंडिंग करती है।

अगर ऐसा नहीं होता है, तो यह दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से अव्यवहारिक और अनुचित दृष्टिकोण माना जाएगा। तीसरा, गवर्निंग बाॅडी दिल्ली विश्वविद्यालय और दिल्ली सरकार के बीच एक पुल का काम करती है, हम उन्हें खत्म नहीं कर सकते। उनकी टाइम लाइन को जितनी जल्दी हो सके, बढ़ाया जाना चाहिए। चैथा, ऐसा देखा गया है कि इन काॅलेजों की तरफ से यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट (उपयोग प्रमाण पत्र) जारी करने में देरी हुई है। इस देरी को समाप्त करने की जरूरत है, ताकि हमारे अधिकारी कुशलता पूर्वक कार्य कर सकें और जल्द से जल्द फंड जारी कर सकें।

सीएम अरविंद केजरीवाल (CM Arvind kejriwal)ने कहा कि कई लंबित मुद्दे हैं, जिन्हें सुलझाने की जरूरत है। हम नहीं चाहते हैं कि इन कॉलेजों की छवि खराब हो। हम चाहते हैं कि अपनी रैंकिंग में सुधार करें, क्योंकि काॅलेजों की सफलता ही हमारी सफलता है। हम शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के कार्यालय की तरफ से कुलपति को निमंत्रण भेजेंगे, ताकि लंबित मुद्दों पर उनसे बातचीत की जा सके। हमें पता है कि दोनों पक्षों को लंबित मुद्दों को हल करने की जरूरत है और हम उसके बारे में बात करके खुश हैं।

आज संपन्न हुई बैठक में काॅलेजों के गवर्निंग बाॅडी के सदस्य, काॅलेजों के चेयरपर्सन, काॅलेजों के प्रिंसिपल और एओ (लेखा अधिकारी) मौजूद थे। उन्होंने दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय के बीच बातचीत शुरू करने के लिए दिल्ली सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के अंतर्गत कॉलेजों के बुनियादी ढांचे और सिस्टम में जबरदस्त सुधार हुआ है।

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