Corona Varrint

ICMR: आईसीएमआर का दावा, कोविशील्ड की दोनों डोज लेने वाले पर डेल्टा वैरियंट का ज्यादा असर नहीं

ICMR: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से पहले ही डेल्टा वेरिएंट को वायरस ऑफ कंसर्न घोषित किया जा चुका है

नई दिल्ली, 05 अगस्तः ICMR: कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कारण हुई तबाही और लगातार हो रहे म्यूटेशन से पैदा हो रहे नए-नए वेरिएंट्स ने सरकार सहित हेल्थ केयर सिस्टम की भी चिंता बढ़ा दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से पहले ही डेल्टा वेरिएंट को वायरस ऑफ कंसर्न घोषित किया जा चुका है। इसके बाद से भारत सहित कई देश तीसरी लहर से निपटने की कोशिश में जुट चुके हैं। मौजूदा दौर में डेल्टा से बचाव एक मात्रा तरीका है- टीकाकरण।

हालांकि, ताजा शोध की रिपोर्ट्स में ये बात साबित हो चुकी है कि वैक्सीन लगवा चुके लोग भी डेल्टा वेरिएंट की चपेट में आ सकते हैं और एसिम्टोमैटिक बनकर दूसरों को भी संक्रमित कर सकते हैं। इस बीच भारतीय चिकित्सा परिषद (ICMR) और पुणें स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआइवी) द्वारा किये गये अध्ययन मे पता चला है कि कोरोना से उबरे और कोविशील्ड की दोनों डोज लगवाने वाले लोग वायरस के डेल्टा वैरियंट से ज्यादा सुरक्षित है।

क्या आपने यह पढ़ा.. Corona Vaccination: केंद्र सरकार का टीकाकरण व्यवस्था में बड़ा बदलाव, पढ़े पूरी खबर

विज्ञानी टीकाकरण के बाद संक्रमण के मामले को ब्रेकथ्रू केस कहते हैं, क्योंकि वायरस टीके की वजह से पैदा हुई प्रतिरक्षा प्रणाली को तोड़कर संक्रमित करता है। अध्ययन में प्रतिरक्षा प्रणाली को वैरिएंट का पता लगाने का सुझाव भी दिया गया है। हाल ही में भारतीय चिकित्सा अनुसंघान परिषद (ICMR) द्वारा किये गये अध्ययन में भारत बायोटेक की कोरोना रोधी वैक्सीन को वैक्सीन भी (बीबीवी 152) डेल्टा प्लस वैरियंट (एवाई.1) के खिलाफ प्रभावी पाई गई थी।

बायोरक्सिव में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि आईजीजी एंटीबाडी के मूल्यांकन में पाया गया है कि कोवैक्सीन की पूर्ण डोज यानी दोनों डोज लेने लोगों में कोविड-19 की आशंका लगभग खत्म हो गई है। इस अध्ययन में डेल्टा प्लस और बी. 1.617.3 के खिलाफ कोवैक्सीन का मूल्यांकन किया गया। इस रिपोर्ट में सामने आया कि कोवैक्सीन डेल्टा वैरियंट के खिलाफ 65.2 प्रतिशत प्रभावी है।

देश-दुनिया की खबरें अपने मोबाइल में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें