National webinar: डॉ. भीमराव अंबेडकर महाविद्यालय (दिल्ली विश्वविद्यालय) में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष पर एक राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन
National webinar: वेबीनार का विषय ” रवींद्रनाथ टैगोर: रोल्स इन इंडिया फ्रीडम स्ट्रगल एंड रिजूवनेटिंग एजुकेशन” था.
दिल्ली, 26 अक्टूबर: National webinar: समाज कार्य विभाग, डॉ. भीमराव अंबेडकर महाविद्यालय (दिल्ली विश्वविद्यालय) ने आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष पर आज दिनांक 26 अक्टूबर 2021 को एक राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित किया। यह आयोजन पूर्वान्ह 3:00 से 5:00 बजे के बीच में संपन्न हुआ. वेबीनार का विषय ” रवींद्रनाथ टैगोर: रोल्स इन इंडिया फ्रीडम स्ट्रगल एंड रिजूवनेटिंग एजुकेशन” था. इस आभासी संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में विश्व भारती यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर प्रशांत कुमार घोष आमंत्रित थे।
अन्य वक्ता में बाबर अली, संस्थापक, आनंदा शिक्षा निकेतन थे। कार्यक्रम का आरंभ समन्वयक किसलय कुमार सिंह द्वारा सरस्वती वंदना एवं आभासी द्वीप प्रज्वलित किया गया. सहसंयोजक, कुमार सत्यम ने इस वेबीनार के बारे में संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। तत्पश्चात, उन्होंने ने आजादी के अमृत महोत्सव के नोडल ऑफिसर दलजीत कौर को आमंत्रित किया. कौर ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए वेबीनार के विषय के चयन के लिए आयोजन समिति का विशेष रूप से धन्यवाद ज्ञापन किया। इस राष्ट्रीय वेबीनार के सहसंयोजक ने समन्वयक को आमंत्रित कर मुख्य वक्ताओं का संक्षिप्त परिचय देने का आग्रह किया।
National webinar: प्रोफेसर घोष ने रविंद्रनाथ टैगोर के जीवन के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित करते हुए भारत की आजादी में उनकी योगदान का उल्लेख किया। साथ ही उन्होंने कहा कि टैगोर की विश्वस्तरीय प्रसिद्धि को उनके वैश्विक एकीकरण एवं बंधुत्व के भाव से जोड़ते हुए उनके कला, शिल्प, सहकारिता एवं कौशल आधारित शिक्षा के प्रति उनके योगदान को भी विस्तार से समझाया।दूसरी वक्ता के तौर पर बाबर अली जोकि दुनिया के सबसे कम उम्र के प्रधानाध्यापक के रूप में जाने जाते हैं ने विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा जन्म से गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर एक निडर स्वतंत्र थे, सभी प्रकार के बंधनों से मुक्त थे। टैगोर के पूरे जीवन में, ब्रिटिश साम्राज्य से इस महान क्षेत्र, जिसे संयुक्त भारत कहा जाता है, यानी स्वतंत्रता से पहले भारतीय क्षेत्र में पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करने का उनका एक महान सपना था।
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गुप्त रूप से या गुमनाम रूप से उन्होंने हमेशा अपने देश और देशवासियों को ब्रिटिश राज से मुक्त करने के लिए अपने सभी प्रयास किए। टैगोर का मानना था वास्तविक स्वतंत्रता तभी प्राप्त की जा सकती है जब भारतीय लोग उचित रूप से शिक्षित और आत्मनिर्भर होंगे। इस कारण उन्होंने बहुत ही सरल तरीके से कविताओं, गीतों, कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, चित्रों, प्राकृतिक घटनाओं आदि के रूप में शिक्षा का विस्तार किया।इस वेबीनार का मुख्य उद्देश्य आजादी की 75वी वर्षगांठ मनाते हुए उन सभी कर्मयोगियों एवं महान नायकों को याद करना था. आजादी की लड़ाई में समाज के हर वर्ग के लोगों का योगदान रहा है। हम उन सभी नायकों को याद करते हुए आजादी के 75वी वर्ष में प्रवेश करेंगे। शूरवीरों ने जो सपना देखा था उन्हें फिर से याद करते हुए आजादी के अमृत भाव को जन-जन तक पहुंचाना हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
यह वेबीनार उसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक छोटी सी कोशिश थी। वेबीनार में महाविद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थी एवं गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों सहित अन्य प्रतिभागियों ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम को गूगल मीट के माध्यम से आयोजित किया गया। इस संगोष्ठी के संयोजिका डॉ. रिचा चौधरी के द्वारा विशेषज्ञ वक्ताओं को धन्यवाद ज्ञापित कर सभी प्रतिभागियों, सह-संयोजक, समन्वयक एवं कॉलेज के नोडल ऑफिसर को कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए अनेकों बधाइयां देने के साथ कार्यक्रम की औपचारिक समाप्ति की घोषणा की गई। अंत में राष्ट्रगान गाकर इस महत्वपूर्ण आभासी संगोष्ठी का समाप्ति हुई।
रिपोर्टः कुमार सत्यम, सहायक प्राध्यापक, समाज कार्य विभाग, डॉ. भीमराव अंबेडकर कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय)