Krishna Radha: प्रेम में धड़कते हर दिल में हो तुम
नटखट हो गोविंद हो तुम
गोपियों के दिल की बात हो तुम
राधा का अधूरा प्रेम हो तुम
मीरा के तानपुरे की आवाज़ हो तुम
वो मिट्टी में खेलते बाल गोपाल हो तुम
प्रेम में धड़कते हर दिल में हो तुम
वो देखो कंस को मार, बुराई पर अच्छाई की जीत हो तुम
भरी सभा मे द्रोपदी का चीर बढ़ा गए,वो भाई हो तुम
अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया,वो सारथी हो तुम
जो सुदामा आए द्वार तुम्हारे,तो सबकुछ उनको अर्पण किया वो मित्र हो तुम
कहने को कई रूपों में हों,पर इस सृष्टि के पालन हार हो तुम
हा आज मेरी आवाज़ में,मेरी लिखी हर बात में हो तुम
कृष्ण हो तुम,कृष्ण हो तुम,कृष्ण हो तुम
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