Waqt ki barikiyan: वक्त की बारीकियाँ समझने को…
Waqt ki barikiyan: !!वक्त की बारीकियाँ!!
Waqt ki barikiyan: वक्त की बारीकियाँ समझने को,
कैसे शिद्दत से कोशिश करते है।
आँखों से बहकर यह आँसू ना जाने,
क्या बदलने का इंतजार करते है।
मसरूफ है नेकी खुद को बचाने में
हैरत से आँसू की कुर्बानी देखती है
खुद अपनी आँखों से जुदा होकर भी
वो गैरों के साथ की उम्मीद रखते है?
कही हमदर्दी को दबोचे गुरूर बैठा है
गैर महफ़ूज़ी हर कही सुलग रही है
नजरों को सिर्फ़ साफ करके वो क्या
तस्वीर बदलने की उम्मीद रखते है?
आँखों को पी लेने दो आँसूओ को
एतमाद बनकर उन्हें फिर बिखरने दो
समेट लेना अपनी चाहत से सब
कमज़ोर सहारे का इंतज़ार करते है
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