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मुसाफ़िरनामा (Musafirnama)

Amardip singh
✍️कर्नल अमरदीप सिंह, सेना मेडल (से.नि)

Musafirnama: चीनी वायरस का प्रकोप कम हुआ, बाज़ारों में भीड़ बढ़ी, चुनावी रैलियों में आकाओं ने जन सैलाबों को संबोधित किया, स्कूल कॉलेज खुले और देश में दंगों, हंगामों ने वापस अपना रूप धारण किया। पाँच राज्यों में चुनाव कोई छोटी बात नहीं है। देश को बेचने वाली ताकतों ने बोली लगायी, मीडिया ने बिना अक्ल का प्रयोग किये मुद्दों को भुना कर, आम जन की मानसिक शांति की चिता पर अपनी रोटियाँ सेंकीं। बड़े बब्बा ने संसद में अपने वक्तव्य में सबको लपेट लिया। चचा नेहरू को याद किया गया, संदर्भ इस कॉलम की गरिमा के अनुरूप नहीं है।चुनावी वायदों की चॉकलेट को चाशनी में डुबा कर और मीठा किया गया। वोटर रूपी शिशु के मुँह में इतनी पार्टियों के चॉकलेट हैं कि चुनाव समाप्त होते ही भीतर छिपी वास्तविकता की कुनैन से उसका अगले पाँच वर्ष रोना-सुबकना तय है।

चुनावी राज्यों में माननीय अपने अपने स्वचालित रथों से उतर कर ज़मीन पर हैं। जन संपर्क के नाम पर बस मुँह दिखायी रूपी कुछ चल रहा है। पाँच साल में एक बार ही आना होता है, आश्चर्यचकित होना लाज़मी है। पंजाब में बड़े आका द्वारा मुख्यमंत्री प्रत्याशी के नाम की घोषणा होते ही राष्ट्रीय हल्के जोकर के मुँह में दही जम गया है। इस दही का रायता कब बन कर किस पर फैलेगा, सर्वविदित है।

मतदान का पहला चरण चल रहा है। हर दल स्वयं को विजयी घोषित कर चुका है। वोटरजन से आग्रह रहेगा कि पाँच वर्ष में एक बार सूझ बूझ के प्रयोग का अवसर आता है, उसे व्यर्थ न जाने दें। देशहित में मत दें। स्वार्थी और दलबदलू नेताओं से सावधान रहें। गुंडा तत्वों को खादी पहना कर खजाने की चाबी न सौंपें।

कर्नाटक में स्कूली परिधान को ले कर जो घृणा की राजनीति चल रही है, उस से बचा जाना चाहिए। प्रिय पाठक समझदार हैं। आपके आस पास देश को तोड़ने वाला कोई भी हो, विरोध करें। अगली पीढ़ी को सहिष्णुता का पाठ पढ़ायें। सामाजिक रूढ़ियों से उन्हें बचायें। मलाला नामक जीव फिर मुखर हुआ। बलूचिस्तान और अफगानिस्तान में क्या हो रहा, उसे मिस मलाला हर बार मिस कर जाती हैं। हमारे लोकल बिकाऊ तोतों ने भी रटे रटाये जुमले उगले और फिर नोटों की हरी मिर्च की अपेक्षा में आकाओं की ओर ताका। हल्की युवराज्ञी ने जोश जोश में पहनावे की स्वतंत्रता में बिकिनी इत्यादि को भी गिन लिया। राजनीतिक मंच से भाषण ठीक है पर सोच तो स्वच्छ रखें दद्दा। सोशल मीडिया की थाली पर हर चीज़ मसाले लगा कर परोसी जाती है। उसको समझना होगा। कम बोलें और जो कहें, सोच समझ कर कहें।

पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे को उछालने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के पाकिस्तानी कार्यालयों का प्रयोग किया। अमरीकी और कोरियाई कंपनियों की शाखाओं ने आईएसआई के दबाव में सोशल मीडिया पर बयान दिए। भारतीय बाज़ार रूपी सोये सिंह ने करवट भर ली और बब्बा लोगों की सिट्टी पिट्टी गुम। विदेश मंत्रालय ने भी हरकत की और कड़ी निंदा न करके सीधे चेतावनी दी। फौरन माफ़ीनामे जारी हुए और स्थिति काबू में आयी। पाकिस्तानी की अपनी अर्थव्यवस्था कितनी दयनीय स्थिति में हैं और वहाँ अल्पसंख्यकों के साथ क्या हो रहा है, चिंता और मनन का विषय है। जानिएगा और भी।

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कनाडा में स्थिति अभी भी नियंत्रण में नहीं है। जस्टिन ट्रूडो को समझ नहीं आ रहा कि समस्या का निदान कैसे हो। दूसरों के मामले में भड़काऊ बयानबाज़ी के बाद जनाब बाज़ी पलटते ही सकते में हैं। रूस और यूक्रेन में युद्ध की संभावना बढ़ गयी है। रूसी सेनाओं ने यूक्रेन को घेर लिया है और बड़े स्तर पर सैन्य अभ्यास चल रहे हैं। नाटो देश भी यूक्रेन के समर्थन में हरकत में हैं। हर दिन की धमकियों के बीच फ्रांस इत्यादि समझौता कराने की कोशिश भी कर रहे हैं। रूस ने परमाणु युद्ध की धमकी दी है। स्थिति नाज़ुक है।

वाशिंगटन पोस्ट की भारतीय मूल की पत्रकार जो कि पाकिस्तानी तोता भी हैं, समजसेव के लिए मिली राशि को हड़पने के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय के हत्थे चढ़ गयी हैं। आक थू है ऐसे दोगलों पर। परीक्षाएँ चल रही हैं। बड़ी गाज़ उन लल्ला लल्ली पर गिरी है जो सोच कर निश्चिंत थे कि परीक्षाएँ ऑनलाइन होंगी। इनका हौसला बढ़ायें। असली परीक्षा तो स्कूल कॉलेज के बाद होगी जनाब। योद्धा बनिये।

सर्दी जाने को है। मौसम के गुलाबीपन का आनंद लेना मत भूलियेगा। हिंदी बोलने, लिखने, पढ़ने का कोई भी समय उचित समय है। देश पर गर्व करें। उसी में हमारा हित है। मास्क का त्याग न करें, स्वस्थ और प्रसन्न रहें।
जय हिंद

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